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समंदर में बढ़ती डार्क वेसेल्स की समस्या: वैज्ञानिकों की चिंता

Agency:News18Hindi

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Mysterious Dark Vessels Found in Ocean: वैज्ञानिकों को समंद्र में कई मौकों पर ब्लैक वेसेल्स मिले हैं. वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि ये वेसेल्स ट्रैकिंग सिस्टम में नहीं दिखते हैं. दरअसल ये अवैध रूप से मछली प…और पढ़ें

क्या है समंदर के काले वेसेल्स के रहस्य.

हाइलाइट्स

  • डार्क वेसल्स अवैध मछली पकड़ने और तस्करी के लिए उपयोग होते हैं.
  • AI और सेटेलाइट से 97% डार्क वेसल्स की पहचान हो रही है.
  • डार्क वेसल्स समुद्री सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं.

Mysterious Dark Vessels Found in Ocean: धरती का एक तिहाई भाग समंदर यानी कि पानी से घिरा हुआ है. हमारी धरती पर अपनी विशाल छाती फैलाये ये समंदर अपार संभावनाओं से भरे हैं. लेकिन समंदर के कानूनों को नियंत्रित करने वाली और अंतरराष्ट्रीय समुंदरी बॉर्डर की देखरेख करने वाली संस्था ने समंद्र में मिलने वाली कई डार्क ब्लॉक को लेकर चिंता जताई है. दरअसल, समंदर में मिले कई डार्क वेसेल्स ने वैज्ञानिकों और सुरक्षा एजेंसियों ने इस पर चिंता जताई है. आजकल समंदर डार्क वेसेल्स की संख्या लगातार ब़ढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय बने हुए हैं. आखिर क्या हैं ये डार्क वेसेल्स, इनमें कैसे राज छिपे हैं, चलिए जानते हैं.

समंदर धरती और मानवता के लिए काफी जरूरी है. इसके मार्ग न केवल वैश्विक व्यापार के लिए बल्कि खाद्य संसाधनों और ऊर्जा के लिए भी काफी जरूरी हैं. हालांकि, समंदर में कई गहरे राज भी छिपे होते हैं और समंदर में कई गतिविधियां ऐसी होती हैं, जो हमारे लिए खतरनाक होती हैं और दुनिया की नजरों से छिपी रहती हैं. earth.com के एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही की एक स्टडी में “डार्क वेसल्स” की जानकारी मिली है. ये डार्क वेसल्स यानी ऐसी जहाजें हैं, जो सार्वजनिक ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए उपयोग किए जाते हैं. इससे अवैध काम किए जाते हैं. इसकी बढ़ती संख्या की वजह से पारदर्शिता, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं.

पारंपरिक ट्रैकिंग सिस्टम की सीमाएं
ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) के जरिए काफी लंबे समय से समुद्र में जहाजों की गतिविधियों को ट्रैक किया जाता रहा है. यह सुरक्षा के लिए काफी जरूरी है. हालांकि, यह उपयोगी है. मगर इसमें महत्वपूर्ण खामियां हैं. डार्क वेसल्स जैसे कई जहाज हैं, गैर-कानूनी मछली पकड़ने, तस्करी और मानव तस्करी में शामिल होते हैं, जानबूझकर अपने ट्रैकिंग सिस्टम बंद कर देते हैं ताकि वे छिपे रह सकें. नेचर में प्रकाशित ग्लोबल फ़िशिंग वॉच के एक अध्ययन में पाया गया कि दुनिया के 72% से 76% औद्योगिक मछली पकड़ने वाले जहाज़ और 30% तक मालवाहक और ऊर्जा जहाज सार्वजनिक ट्रैकिंग सिस्टम पर दिखाई नहीं देते हैं.

डार्क वेसेल्स चिंता का विषय
डार्क वेसेल्स वाले जहाजों की अदृश्यता एक गंभीर समस्या है. इसके जिम्मेदार अधिकारियों को समुद्री कानूनों को लागू करना, मछली की आबादी की रक्षा करना और समुद्री सुरक्षा बनाए रखना कठिन हो जाता है. जब इतनी गतिविधियाँ नजर से ओझल होती हैं, तो अवैध और हानिकारक प्रथाएं का प्रचलन जारी रह सकता है.

AI से लिया जा रहा है मदद
डार्क वेसल्स की इस समस्या से निपटने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेटेलाइट का उपयोग किया जा रहा है. ग्लोबल फिशिंग वॉच ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेंटिनल-1 उपग्रहों सेमिलने वाले दो पेटाबाइट डेटा का विश्लेषण किया जा रहै है. काफी सटीकता से इसे ट्रैक किया जा रहा है, तभी तो इन डार्क वेसेल्स की जानकारी मिलती है. AI के जरिए 97% डार्क वेसेल्स वाले जहाजों की पहचान की जा रही है. 90% मछली पकड़ने वाले जहाजों की पहचान भी हो जाएगी.

पारदर्शिता सख्त जरूरी
ग्लोबल फ़िशिंग वॉच ने बताया कि एआई के जरिए हम समुद्री प्रशासन को मजबूत कर सकते हैं और यहां पर होने वाले एक-एक अवैध गतिविधियों पर लगाम लगा सकते हैं. जैसे-जैसे समुद्री क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियां बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे बेहतर निगरानी, जवाबदेही और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है. इस अध्ययन ने डार्क वेसल्स के छिपे हुए नेटवर्क को उजागर कर महासागरों के अधिक सतत और पारदर्शी भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है.

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समुद्र में तैरते रहस्यमयी ‘डार्क वेसल्स’ की क्या है कहानी? खुल गया राज


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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