Investment by young leader for adjustment in Delhi; Suni sunai; Gossip; MP; Bhopal | मंत्री बोले- हमारी हालत तो शोले के ठाकुर जैसी: घर वापसी के लिए चक्कर काट रहे सांसद पुत्र; दिल्ली में फील्डिंग जमा रहा युवा नेता – Bhopal News

एमपी कांग्रेस के एक युवा नेता दिल्ली में अपने एडजस्टमेंट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली इलेक्शन के बहाने वे नेशनल टीम में अपने सिलेक्शन के लिए बिसात बिछा रहे हैं। सब्जेक्ट पर अच्छी पकड़ और वाकपटुता के कारण पार्टी में उनकी अच्छी पूछ-परख भी है।
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हाल ही में महू में एक नेशनल लीडर के प्रोटोकॉल में उनकी ड्यूटी लगाई गई। उन्हें फोन पर ड्यूटी बताई गई तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं तो दिल्ली में हूं, वहां क्या करूंगा। ये सुनकर उन्हें जवाब मिला ठीक है अब आप दिल्ली में ही रहो।
युवा नेता ने सालभर पहले एक नेशनल लीडर पर काफी इन्वेस्टमेंट भी किया था। अब देखते हैं इन्वेस्टमेंट और संघर्ष एडजस्टमेंट करा पाता है या नहीं।
सरकार बोले- अफसरों ने दिनभर रगड़ा सूबे के ‘सरकार’ जापान यात्रा पर गए और यात्रा के तीसरे दिन अतिथियों से मिलने के लिए तय समय में 40 मिनट की देरी हो गई। मिलने वालों ने तो इंतजार कर लिया और जमकर हिन्दुस्तान और मध्यप्रदेश की प्रशंसा की। साथ ही रेडिमेड गारमेंट्स सेक्टर में निवेश के लिए आश्वस्त भी किया।
बाद में भारतवंशियों को संबोधित करते हुए ‘सरकार’ ने 40 मिनट देरी की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि अफसरों ने दिनभर रगड़ा। काम पर लगाए रखा। चाय-पानी तक नसीब नहीं होने दी।

ब्लैकलिस्टेड करना था, मिला गया अभयदान रसद विभाग के मंत्री ने एक फर्म की शिकायतों पर उसे ब्लैक लिस्टेड करने नोटशीट लिखी। जिस एजेंसी के खिलाफ विभाग शिकायतों से परेशान था और उसे सिस्टम से बाहर करने की तैयारी हो गई थी। उसे विभाग के ही एक अफसर ने ये तर्क देकर अभयदान दिला दिया कि मालवा क्षेत्र के बडे़ जिले में यदि इतनी अनुभवी और पुरानी एजेंसी बाहर कर दी गई तो हालात खराब हो जाएंगे।
अफसर ने कहा कि किसानों से जुड़ा मामला है। ऐसे में यदि आंदोलन हो गया तो संभालना मुश्किल हो जाएगा। चूंकि तर्क किसानों का दिया गया ऐसे में मंत्री जी की नोटशीट धरी रह गई और एजेंसी को छह महीने का अभयदान मिल गया।
घर वापसी के लिए परेशान पूर्व सांसद के बेटे बुंदेलखंड के एक मौजूदा सांसद के बेटे ने विधानसभा चुनाव में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर झाडू़ पकड़ ली थी। तैश में आकर बेटा चुनावी समर में उतर गया और तीसरे नंबर पर रहा। रिजल्ट के बाद जैसे ही लीडरशिप चेंज हुई तो उनका हृदय परिवर्तन हो गया। वे ‘सरकार’ के शपथ ग्रहण में शामिल हुए।
अब पिछले एक साल से वे पार्टी दफ्तर और नेताओं के घरों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन घर वापसी नहीं हो पा रही है। ये अकेले नेता नहीं, बल्कि कुछ पूर्व विधायक और नेता भी ऐसे हैं जो घर वापसी के इंतजार में हैं।

परिवहन के नए प्रशासनिक प्रमुख की तलाश आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की काली कमाई के चलते परिवहन महकमे की हो रही बदनामी के बीच सरकार को अब इस विभाग के लिए नए प्रशासनिक प्रमुख की तलाश है। अब तक इसकी जिम्मेदारी निभा रहे अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी एसएन मिश्रा रिटायर हो गए है।
पिछले दिनों 42 आईएएस अफसरों की तबादला सूची जारी हुई थी। इसमें मंत्रालय स्तर पर भी फेरबदल किया जाना था, लेकिन परिवहन और गृह विभाग के लिए सीएम और सीएस की पसंद वाले अफसरों पर राय नहीं बनी तो मंत्रालय स्तर पर फेरबदल को टाल दिया गया था। हालांकि गृह विभाग को नया एसीएस मिल गया है। परिवहन के नए प्रशासनिक मुखिया का फैसला सीएम की जापान से वापसी के बाद हो सकता है।
और अंत में..
हम तो शोले के ठाकुर बन गए कर्मचारियों के तबादलों के अधिकार देने की मंत्रियों की डिमांड महेश्वर कैबिनेट में भले ही सरकार ने पूरी कर दी है। लेकिन, जब तबादला नीति जारी हुई तो मंत्रियों और उनके स्टाफ के अफसरों में यह कानाफूसी होने लगी है कि सरकार ने उनकी मांग मानने के बाद भी अधिकार तो दिए ही नहीं।
दरअसल, सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से तबादले करने के अधिकार की जो शर्तें रखी गई हैं, वह ऐसी हैं कि मंत्री चुनिंदा और जरूरत मंद और परिस्थितिजन्य सरकारी कर्मचारियों के तबादले करने के अलावा किसी और के तबादले नहीं कर सकेंगे।
एक सीनियर मंत्री के यहां एक कर्मचारी तबादले की दरख्वास्त लेकर पहुंचा तो मंत्री जी ने कहा- भैया आपने तबादला नीति पढ़ी है या नहीं। हमारी स्थिति तो शोले वाले ठाकुर जैसी है हाथ कटे हैं। बस कंबल से इज्जत ढंके हैं।
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