The collector appointed officers for cleanliness | कलेक्टर ने की सफाई व्यवस्था के लिए अधिकारियों की नियुक्ति: कमेडिया बोलीं- यह नपा की स्वायत्तता पर हमला; पार्षदों ने जताया विरोध – Harda News

हरदा नगर पालिका में प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच विवाद गहरा गया है। सीएम के हरदा आने के दो दिन पहले नपाध्यक्ष कमेडिया एवं भाजपा पार्षदों ने शहर के सभी 35 वार्डों में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति को तानाशाही करार दिया है।
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कलेक्टर के नगर पालिका के 35 वार्डों में सफाई व्यवस्था के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति के फैसले ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। नपाध्यक्ष भारती कमेडिया और पार्षदों ने इस कदम को नगर पालिका की स्वायत्तता पर सीधा हमला बताया है।
नगर पालिका को निशाना बनाया जा रहा विवाद की एक बड़ी वजह यह भी है कि नवनियुक्त अधिकारियों को नगर पालिका सीएमओ को रिपोर्ट करना है, जबकि उनकी नियुक्ति कलेक्टर ने की है। नगर पालिका का आरोप है कि वर्षों से सफाई व्यवस्था के लिए मांगे गए संसाधन और बजट की मांग को प्रशासन ने नजरअंदाज किया, और अब अपनी विफलता छिपाने के लिए नगर पालिका को निशाना बनाया जा रहा है।
नपाध्यक्ष कमेडिया।
हमसे कोई चर्चा नहीं की गई: नगर पालिका अध्यक्ष नगर पालिका अध्यक्ष का कहना है कि “कलेक्टर महोदय द्वारा नगर पालिका के सफाई कार्यों में सीधा हस्तक्षेप कर वार्डों में सफाई प्रभारियों की नियुक्ति की गई, लेकिन इस पर हमसे कोई चर्चा नहीं की गई। यह न केवल हमारे अधिकारों का सीधा हनन है, बल्कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अपमानित करने का भी प्रयास है।
अगर कलेक्टर महोदय को लगता है कि हमारे अधिकार छीनकर और हमें दबाव में रखकर नगर पालिका चलाई जा सकती है, तो बेहतर होगा कि हम सभी पार्षद इस्तीफा दे दें और वे खुद प्रशासक बनकर नगर पालिका का संचालन करें। हम इस तानाशाही रवैये को बर्दाश्त नहीं करेंगे”।

कलेक्टर आदित्य सिंह।
अधिकारी सुबह 6:00 बजे तक बिस्तर से बाहर नहीं निकलते वहीं मामले में नपा नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि “हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह द्वारा 35 वार्डों में सफाई निरीक्षण के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति का ताजा आदेश, न केवल वास्तविकता से कोसों दूर प्रतीत होता है, बल्कि यह भी गंभीर सवाल खड़ा करता है कि जब अधिकारी खुद सुबह 6:00 बजे तक बिस्तर से बाहर नहीं निकलते, तो वे सफाई व्यवस्था की प्रभावी निगरानी कैसे कर सकते हैं।
यह आदेश महज कागजी खानापूर्ती और दिखावे से अधिक कुछ नहीं है, जो जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। नगर पालिका के सभी पार्षद जनता के वोट से चुने गए हैं और अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं”।
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