क्रिसमस पर नहीं होता करिश्मा तो 3 हफ्ते में दिवालिया हो जाते एलन मस्क, दर-दर मांग रहे होते भीख!
Success Story : सन् 2008 एलन मस्क के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था. उनकी कंपनी टेस्ला हर महीने $4 मिलियन (लगभग ₹33 करोड़) फूंक रही थी, और कारों की बिक्री शून्य पर थी. कंपनी दिवालिया होने के कगार पर थी, और केवल तीन हफ्ते की नकदी बची थी. ऐसे कठिन समय में एलन मस्क ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसने उन्हें लगभग जेल में पहुंचा दिया होता. लेकिन यही वो कदम था, जिसने टेस्ला को आज की दुनिया का सबसे मूल्यवान ऑटोमोबाइल ब्रांड बना दिया.
टेस्ला के रोडस्टर प्रोटोटाइप बार-बार फेल हो रहे थे. 89 बार प्रोटोटाइप फेल हो चुके थे. कमाई जीरो थी. इंजीनियर रोज कंपनी छोड़ रहे थे. तीन हफ्ते के भीतर कंपनी को बंद करना पड़ता. 2008 में क्रिसमस की शाम एलन ने अपनी बची हुई कुल संपत्ति $20 मिलियन (लगभग ₹165 करोड़) का आखिरी दांव टेस्ला पर लगा दिया. उनके पास उस समय बस यही रकम बची थी.
दिवालिया होने में केवल 3 हफ्ते
किसी भी आम संस्थापक ने यहां तक पहुंचने से पहले ही हार मान ली होती, लेकिन एलन मस्क ने हार नहीं मानी. उनके लिए रोडस्टर सिर्फ एक कार नहीं थी. वो इसे एक प्रतीक के रूप में देख रहे थे. वह साबित करने पर तुले थे कि इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) भी दिखने में सुंदर, फास्ट, और एडवांस हो सकते हैं.
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कंपनी की स्थिति बेहद नाजुक थी. एलन ने तुरंत बोर्ड मीटिंग बुलाई और अपनी आखिरी बची हुई 20 मिलियन डॉलर की संपत्ति लगाने का प्रस्ताव रखा. लेकिन एक शर्त थी कि अन्य निवेशकों को भी उसी राशि का योगदान करना होगा. ध्यान रहे, एलन मस्क ने पहले ही अपना अधिकांश पेपाल (PayPal) का पैसा टेस्ला (Tesla) और स्पेसएक्स (SpaceX) में लगा दिया था. यह उनके लिए “सब कुछ या कुछ नहीं” जैसा था.
दिवालिया होने का खतरा
दिसंबर 2008 तक टेस्ला पर माल सप्लाई करने वालों का 120 मिलियन डॉलर (लगभग 990 करोड़ रुपये) का बकाया हो गया था. जो ग्राहक पहले से रोडस्टर का ऑर्डर दे चुके थे, वे अपने पैसे वापस चाहते थे. अगर कंपनी को इमरजेंसी फंड नहीं मिला तो दिवालिया होने की नौबत आ जाती. ऐसी स्थिति में एलन मस्क को भी व्यक्तिगत रूप से दिवालिया घोषित किया जा सकता था.
करो या मरो में करके दिखाया बेस्ट
निवेशकों के लिए यह “करो या मरो” का समय था. अगर वे एलन मस्क के $20 मिलियन को मैच नहीं करते, तो टेस्ला उसी क्रिसमस की शाम को बंद हो जाती. पैसा लगाने से भी मुसीबत टल जाएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं थी. वे जानते थे कि अगर उन्होंने पैसा लगाया और टेस्ला फिर भी फेल हो गया, तो उनका सारा पैसा डूब जाएगा. घड़ी की सुईयां तेज़ी से आगे बढ़ रही थीं… टिक-टिक-टिक…
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और फिर वो हुआ, जो सिलिकॉन वैली की एक ऐतिहासिक घटना बन गई. क्रिसमस ईव के दिन, एक कॉन्फ्रेंस कॉल पर एलन मस्क ने ऐसा जादू किया कि निवेशकों ने असंभव पर विश्वास करना शुरू कर दिया. हर असफल प्रोटोटाइप, हर असफलता को एलन मस्क ने उम्मीद की एक किरण में बदल दिया. उनकी रणनीति कामयाब रही. निवेशकों ने एलन के $20 मिलियन को मैच किया, जिससे टेस्ला को सांस लेने के लिए जरूरी ऑक्सीजन मिल गया. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इस कदम ने सभी को यह दिखा दिया कि एलन अपने अपने विज़न (सोच) के लिए सबकुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार थे. उनके लिए टेस्ला सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं था, बल्कि एक सपना था.
आज की टेस्ला की स्थिति
वक्त बदला और आज टेस्ला की कुल संपत्ति 80 ट्रिलियन रुपये (80 लाख करोड़ रुपये) से अधिक हो चुकी है. उन्होंने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति ला दी है, और आज हर बड़ा ऑटोमेकर टेस्ला के नक्शे कदम पर चल रहा है. रोडस्टर ने मुख्यधारा के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नया मार्ग प्रशस्त किया.
Tags: Elon Musk, Success Story, Successful business leaders, Tesla car
FIRST PUBLISHED : November 10, 2024, 22:11 IST
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