मध्यप्रदेश

Multinational companies will provide 37 thousand jobs in MP | एमपी में मल्टीनेशनल कंपनियां देंगी 37 हजार नौकरियां: अमेजन-वॉलमार्ट और माइक्रोसॉफ्ट से संपर्क, नई पॉलिसी में सरकार देगी 30 करोड़ तक की छूट – Madhya Pradesh News

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर यानी जीसीसी के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की घोषणा की है। मप्र कैबिनेट ने केंद्रीय बजट से एक दिन पहले यानी 31 जनवरी को ही जीसीसी पॉलिसी को मंजूरी दी है।

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सरकार का टारगेट एमपी में एक साल में 50 से ज्यादा जीसीसी सेंटर खोलना है। इसके जरिए 37 हजार से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करना है। नई पॉलिसी का मकसद भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसे टियर-2 शहरों को ग्लोबल ऑपरेशनल सेंटर के रूप में विकसित करना है।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियां मप्र सरकार के संपर्क में है। इन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए एमपी सरकार ने जीसीसी पॉलिसी में कई तरह की छूट का प्रावधान किया है। इसके लिए कंपनियों को पूंजी निवेश पर 40 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। दोनों ही नीतियों में कुल सब्सिडी की अधिकतम सीमा 30 करोड़ रुपए तय की गई है।

आखिर क्या होता है ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर और इससे रोजगार के अवसर कैसे पैदा होंगे? पढ़िए मंडे स्टोरी…

3 पॉइंट्स में समझिए एमपी सरकार क्यों लेकर आई पॉलिसी

1. साल 2030 तक 45 लाख लोगों को रोजगार के अवसर भारत की जीसीसी के मार्केट में 50% से ज्यादा की हिस्सेदारी है। साल 2023 में यह सेक्टर 46 अरब डॉलर का था, जो 2030 तक 110 अरब डॉलर से ज्यादा के होने की संभावना है। इस समय देश में 1,600 से ज्यादा जीसीसी काम कर रहे हैं, जहां 19 लाख से ज्यादा पेशेवर लोग काम करते हैं।

एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि 2030 तक देश में 2400 से ज्यादा जीसीसी हो जाएंगे, जिनमें 45 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए एमपी ने इसमें एंट्री की है। विधानसभा में पेश किए आंकड़ों के मुताबिक एमपी में करीब 26 लाख बेरोजगार हैं।

2. आईटी सेक्टर से जीसीसी में 20% ज्यादा सैलरी आईटी सेक्टर में एमपी तेजी से उभर रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन सालों में आईटी कंपनियों के प्रोडक्ट निर्यात में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। स्टाफिंग फर्म टीमलीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले 5 सालों में जीसीसी सेक्टर में ज्यादा ग्रोथ होगी।

इनमें से ज्यादातर जीसीसी अहमदाबाद, वडोदरा, इंदौर, जयपुर जैसे टियर-2 शहरों में खुलेंगे। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 86 फीसदी भारतीय बिजनेस आईटी कर्मचारियों की री स्किलिंग कर रहे हैं। 2026 तक देश की जीडीपी में आईटी सर्विसेज और प्रोडक्ट का योगदान 8% हो जाएगा।

आईटी प्रोडक्ट और सर्विसेज में क्लाउड निवेश अगले पांच वर्षों में 25-30% बढ़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, जीसीसी में एआई/एमएल इंजीनियर का शुरुआती सालाना वेतन 8.2 लाख है। 8 साल से अधिक अनुभव वाले प्रोफेशनल्स के लिए यह 43 लाख तक जा सकता है।

3. 50 हजार इंजीनियर हर साल पासआउट होते हैं सरकारी आंकड़ों के अनुसार एमपी में 5 से ज्यादा एसईजेड, 15 से ज्यादा आईटी पार्क और 150 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और मेन्यूफेक्चरिंग इकाइयां है। साथ ही 2 लाख से ज्यादा आईटी प्रोफेशनल्स हैं। एमपी के तीन सौ इंजीनियरिंग कॉलेजों से हर साल 50 हजार से ज्यादा इंजीनियर पास आउट होते हैं।

सरकार का मानना है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स उनकी रोजगार की जरूरतों को पूरी कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश को ये फायदे होंगे…

नई नीति से प्रदेश के आईटी सेक्टर को मिलेगी नई रफ्तार

जीसीसी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साइबर सुरक्षा डेटा विश्लेषण पर कंपनियों को तकनीकी सुविधाएं मिलेंगी। नई नीति से आईटी सेक्टर को और रफ्तार मिलेगी। आईटी से जुड़ी देश ही नहीं बल्कि दुनिया की बड़ी कंपनियां मध्य प्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित होंगी। यहां के स्किल्ड मैनपावर को दक्षिण के राज्यों या विदेशों में नौकरी के लिए नहीं जाना होगा। प्रदेश में ही नौकरी मिल सकेगी।

ईको सिस्टम से बढ़ेगी आमदनी, जीएसडीपी में ग्रोथ

मध्य प्रदेश में आईटी और आईटी से जुड़ी कंपनियों के अलावा ईएसडीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए भी इको सिस्टम तैयार किया जाएगा। इसका मतलब इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के डिजाइन, विकास, और उत्पादन से संबंधित काम भी प्रदेश में ही हो सकेगा।

इसमें सेमीकंडक्टर चिप्स, सर्किट बोर्ड, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम उपकरण, और ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीजें बनेंगी। इससे सरकार की आमदनी बढ़ेगी और जीएसडीपी(सकल राज्य घरेलू उत्पाद) में भी ग्रोथ होगी। पिछले साल से इसमें क्रमश: 6 और 9 प्रतिशत की ग्रोथ रही है लेकिन जीसीसी के लागू होने के बाद ये ग्रोथ 12-15 प्रतिशत तक सालाना हो सकती है।

न्यूनतम 15 करोड़ का निवेश व 100 लोगों को रोजगार

नीति के तहत जीसीसी की दो श्रेणियां होंगी।

पहली: लेवल-वन के जीसीसी स्थापित करने के लिए न्यूनतम 15 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। प्रत्येक जीसीसी में 100 से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की भी अनिवार्यता रहेगी।

दूसरी: एडवांस्ड जीसीसी के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 50 करोड़ रखी गई है। इनमें 250 से अधिक लोगों को रोजगार देना होगा।

तीन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के संपर्क में सरकार

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी के मुताबिक अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और वॉलमार्ट जैसी प्रमुख ग्लोबल कंपनियां लागत घटाने और कुशल युवाओं का लाभ उठाने के लिए ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) स्थापित करती हैं, जो आर एंड डी, आईटी सर्विस, बीपीओ और इंजीनियरिंग सेवाएं प्रदान करते हैं।

राज्य सरकार इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों से मप्र में जीसीसी शुरू करने के लिए संपर्क में है।उनका कहना है कि जीसीसी के जरिए निवेश में वृद्धि से ग्लोबल कनेक्टिविटी में भी इजाफा होगा। इससे मध्य प्रदेश में आईटी और आईटी-इनेबल्ड सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय कंपनियों का ग्लोबल कंपनियों से जुड़ाव बढ़ेगा।

इस कोशिश से स्किल्ड युवाओं की डिमांड बढ़ेगी और तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इन केंद्रों का फोकस ऑटोमोबाइल, जीआईएस, माइनिंग, फार्मा, रिन्युएबल एनर्जी और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों पर होगा।

IT और इससे जुड़ी इकाइयों को ये मिलेगा फायदा

मध्य प्रदेश IT, ITeS और ESDM निवेश प्रोत्साहन नीति 2023 के तहत सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं से जुड़ी इकाइयों को उपलब्ध प्रोत्साहन, राज्य में संचालन स्थापित करने वाले सेंटर को भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

उद्योगों के आकर्षित होने की ये वजह है-

मध्य प्रदेश को Ease of Doing Business Ranking 2023 में देश में चौथा स्थान दिया गया है, जो इसे विभिन्न उद्योगों के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाता है। लागत और लाभ के संदर्भ में इंदौर और भोपाल जैसे प्रमुख शहर, व्यापार संचालन और जीवन यापन के लिए एकदम सही हैं।, देश के मेट्रो शहरों की तुलना में यहां लागत आधी से भी कम हैं और लाभ दोगुना।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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