मध्यप्रदेश

School operators will protest in front of BJP office in Bhopal | भोपाल में बीजेपी ऑफिस के सामने धरना देंगे स्कूल संचालक: मान्यता नियमों में बदलाव को लेकर प्रदर्शन; विधायकों से गुहार लगा चुके – Bhopal News

मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों के मान्यता नियमों में बदलाव को लेकर अब स्कूल संचालक मंगलवार को बीजेपी ऑफिस के सामने धरना देंगे। इससे पहले स्कूल संचालकों ने 10 जनवरी को हड़ताल की थी। वहीं, महीनेभर पहले स्कूल संचालक राज्य शिक्षा केंद्र कार्यालय परिसर म

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स्कूल संचालकों का कहना है कि इससे पहले हम सीएम से लेकर शिक्षा मंत्री व अपने-अपने जिलों के विधायकों के सामने इस संबंध में गुहार लगा चुके हैं। प्रदेश सचिव संचालक मंच अनुराग भार्गव ने बताया, पिछले एक साल से लगातार सीएम, मंत्री, विधायक, डीपीसी, बीआरएस से गुहार लगा चुके है। धरना प्रदर्शन भी किया है। 30 जनवरी को प्रदेश के स्कूल बंद किए गए, लेकिन मान्यता नियम में बदलाव को लेकर कुछ सुनने को तैयार नहीं है।

सरकार से इच्छा मृत्यु मांगेंगे स्कूल संचालक अब मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे। कोषाध्यक्ष मोनू तोमर ने कहा कि कुछ संचालक मुंडन करवाएंगे, तो कुछ सरकार से इच्छा मृत्यु मांगेंगे।

इधर, तारीख बढ़ाई, 7 फरवरी तक कर सकेंगे आवेदन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मान्यता में नियमों के बदलाव को लेकर 30 जनवरी को हड़ताल की। 31 जनवरी मान्यता के लिए आवेदन करने की आखिरी डेट थी। इस दिन करीब 2.5 हजार स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन किया। इस तरह से प्रदेश में कुल 10 हजार से अधिक स्कूल मान्यता के लिए आवेदन 31 जनवरी तक कर चुके हैं।

दूसरी तरफ, विभाग ने मान्यता के लिए आवेदन करने की तिथि बढ़ा दी है। इसके लिए आदेश भी आरएसके ने जारी कर दिया है। मान्यता के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 31 जनवरी से बढ़ाकर 7 फरवरी कर दिया है। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों की माने तो अंतिम तारीख बढ़ाई तो गई है। इसके लिए स्कूल 7 फरवरी तक आवेदन कर सकते हैं। वहीं, विलंब शुल्क के साथ वह 14 फरवरी तक भी आवेदन कर सकते हैं।

एसोसिएशन ने कहा- 18 हजार स्कूल बंद की कगार पर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया, राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा कक्षा पहली से आठवीं मान्यता नवीनीकरण में जो तानाशाही दिखाई गई है। वह मध्य प्रदेश के स्कूल संचालकों, शिक्षकों एवं कार्यरत कर्मचारियों के दमन का रास्ता है। मध्य प्रदेश में 18 हजार से अधिक स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।

ये स्कूल विगत वर्षों से इसी विभाग से मान्यता प्राप्त कर संचालित हैं। एक तरफ निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 कहता है कि शिक्षा नि:शुल्क होनी चाहिए। वहीं 30 से 40 हजार रुपए सावधि जमा और रजिस्टर्ड किरायानामा यह दर्शाता है कि शिक्षा विभाग के लिए शिक्षा व्यवसाय बन गया है।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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