मध्यप्रदेश

Corruption case also against Saurabh’s wife Divya | सौरभ की पत्नी दिव्या पर भी भ्रष्टाचार का केस: जयपुरिया स्कूल के 10 करोड़ का हिसाब नहीं दे पाई, जांच के घेरे में परिवहन अफसर – Madhya Pradesh News

भोपाल के शाहपुरा में सौरभ शर्मा के जयपुरिया स्कूल की बिल्डिग बन रही थी।

परिवहन विभाग (आरटीओ) के करोड़पति पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की पत्नी दिव्या शर्मा को भी लोकायुक्त ने नामजद आरोपी बना लिया है। इस केस में सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर के अलावा अब दिव्या चौथी आरोपी हैं। हालांकि, जांच एजेंसी ने दिव्या को गिर

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दिव्या शर्मा भोपाल के शाहपुरा के निर्माणाधीन जयपुरिया स्कूल के साथ सौरभ की अलग-अलग कंपनियों में भी डायरेक्टर हैं। इनमें सबसे अहम है- अविरल एंटरप्राइजेस। इस कंपनी में दिव्या डायरेक्टर हैं। इस कंपनी में हुए लेन-देन के सवालों पर भी दिव्या ये नहीं बता पाईं कि पैसा कहां से आया?

बता दें कि लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा की संपत्ति का जो ब्योरा निकाला है, उसके मुताबिक 2016 से 2023 तक उसने (इस दौरान वह सरकारी नौकरी में रहा) 40 करोड़ रुपए की संपत्ति खरीदी है। जिसमें से 20 करोड़ की संपत्ति दिव्या शर्मा के नाम पर है। इसके अलावा लोकायुक्त ने 19 दिसंबर को मारे छापे में चांदी की सिल्लियों सहित 9 करोड़ रुपए बरामद किए हैं।

अब जानिए, कैसे हिसाब नहीं दे पाईं दिव्या शर्मा दिव्या शर्मा तीन कंपनियों में डायरेक्टर हैं। इसमें अविरल इंटरप्राइजेज सबसे पुरानी है। ये कंपनी 22 दिसंबर 2017 को बनाई गई थी। 30 दिसंबर 2023 को कंपनी की आखिरी एजीएम (एनुअल जनरल मीटिंग) हुई थी। शरद जायसवाल की मां कृष्णा जायसवाल भी इस कंपनी के डायरेक्टर हैं।

लोकायुक्त ने दिव्या से कंपनी की डायरेक्टर की हैसियत से पूछताछ की। लोकायुक्त ने पूछा- कंपनी को पैसा कहां से मिलता था लेकिन इसका जवाब दिव्या नहीं दे पाईं। इसके अलावा शुभ्रा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और स्काई लॉक सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड में भी दिव्या शर्मा डायरेक्टर हैं। इन कंपनियों को शुरू करने के लिए कहां से फंडिंग हुई, ये भी दिव्या नहीं बता सकी हैं।

दुबई से लौटने के बाद दिव्या शर्मा पति सौरभ शर्मा के साथ लोकायुक्त दफ्तर पहुंची थीं।

दुबई से लौटने के बाद दिव्या शर्मा पति सौरभ शर्मा के साथ लोकायुक्त दफ्तर पहुंची थीं।

जयपुरिया स्कूल फ्रेंचाइजी में भी डायरेक्टर दिव्या शर्मा भोपाल के शाहपुरा में बन रहे जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी में भी डायरेक्टर हैं। 15 मार्च 2004 को भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने राजमाता शिक्षा समिति को 19942 वर्गफुट जमीन स्कूल बनाने के लिए आवंटित की थी। इस समिति की अध्यक्ष बीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष रहे सुनील शर्मा की मां थीं।

जमीन आवंटन की एक शर्त ये भी थी कि यहां 3 साल के भीतर स्कूल बना दिया जाएगा। सुनील शर्मा की मां के एनजीओ के नाम जमीन थी लेकिन मौके पर पार्क बना था। शाहपुरा हाउस ऑनर्स एसोसिएशन का तर्क है कि बीडीए ने 1984 में जब ये कॉलोनी बनाई तो इस जमीन को ओपन स्पेस बताया था।

साल 2014 में जब बीडीए ने कॉलोनी की लीज रिन्यू की, तब भी यहां खुला एरिया था। नवंबर 2022 में अचानक जमीन पर निर्माण काम शुरू हो गया, तब रहवासियों को पता चला कि इस जमीन पर नगर निगम ने बिल्डिंग परमिशन दे दी है। पता चला कि बिल्डिंग परमिशन सौरभ शर्मा को मिली है। यहां वो जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने जा रहा है।

जयपुरिया स्कूल की वेबसाइट पर दिव्या शर्मा को डायरेक्टर और उमा शर्मा को चेयरपर्सन बताया गया था।

जयपुरिया स्कूल की वेबसाइट पर दिव्या शर्मा को डायरेक्टर और उमा शर्मा को चेयरपर्सन बताया गया था।

2025 से ही स्कूल शुरू करने की थी प्लानिंग लोकायुक्त छापे से पहले स्कूल बिल्डिंग का काम दिन रात बहुत तेजी से जारी था। यहां 50 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे थे। सूत्रों से पता चला कि सारे काम के टेंडर पहले ही हो चुके थे। कौन सा मटेरियल कहां से आएगा, यह भी डील हो चुकी थी।

सौरभ शर्मा का टारगेट था कि 2025 सेशन से स्कूल में एडमिशन प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। एडमिशन और टीचिंग से जुड़ी जानकारी के लिए अरेरा कॉलोनी में कंसल्टेशन ऑफिस शुरू किया था।

डांस एकेडमी से करीब आए थे सौरभ और दिव्या 2016 में आरटीओ कॉन्स्टेबल बनने से पहले सौरभ ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित अपने मकान में थंप डांस एकेडमी और फिटनेस सेंटर चलाता था। इसी इलाके में दिव्या भी डांस एकेडमी चलाती थीं। दिव्या कोरियोग्राफर रही हैं। शहर में होने वाले कार्यक्रमों के दौरान सौरभ और दिव्या संपर्क में आए। दोनों शुरू से ही बहुत महत्वाकांक्षी रहे हैं।

दिव्या शहर में होने वाले आयोजनों के दौरान मीडिया की सुर्खियों में रहती थीं। उन्होंने ग्वालियर में कई सेलिब्रिटी के कार्यक्रम भी करवाए हैं। 2016 में सौरभ के परिवहन आरक्षक बनने के बाद थंप स्टूडियो का पूरा मैनेजमेंट दिव्या के पास आ गया। इस दौरान यहां कई कार्यक्रम हुए।

परिवहन आरक्षक बनने से पहले सौरभ और पत्नी दिव्या दोनों डांस स्कूल चलाते थे।

परिवहन आरक्षक बनने से पहले सौरभ और पत्नी दिव्या दोनों डांस स्कूल चलाते थे।

मां उमा बोलीं- पेंशन मिलती है, किराया भी आता है सौरभ की मां उमा शर्मा के नाम भी करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी है लेकिन उन्हें इस मामले में अब तक आरोपी नहीं बनाया गया है। इसकी वजह ये है कि उमा शर्मा ने अपने बयान में बताया है कि उनके दिवंगत पति डॉक्टर रहे हैं। उन्हें पेंशन मिलती है। ग्वालियर के सिटी सेंटर में उनका मकान है। इसके किराए से भी उन्हें आय होती है।

लोकायुक्त की जांच का फोकस सौरभ की सरकारी नौकरी यानी अक्टूबर 2016 से मई 2023 तक का समय है। हालांकि, लोकायुक्त पुलिस का कहना है कि आगे की जांच में यदि सौरभ के पैसों से उमा का कनेक्शन मिला तो उन्हें भी आरोपी बनाया जा सकता है।

लोकायुक्त कोर्ट में साबित करेगी 52 किलो सोना सौरभ का लोकायुक्त के जांच अधिकारी का कहना है कि कोई भी आरोपी कभी ये नहीं कहता कि ये पैसा उसका है। वह इनकार ही करता है। ये जांच एजेंसी का काम है कि वह कोर्ट में सबूतों के साथ प्रमाणित करे कि पैसा और सोना किसका है?

जिन दूसरे लोगों के नाम पर प्रॉपर्टी के दस्तावेज हैं, उसका लिंक भी जांच एजेंसी को प्रमाणित करना होता है। सौरभ ने पूछताछ में सोना और 11 करोड़ वाली कार के बारे में कहा कि ये कार उसकी नहीं है। न ही उसके घर से मिली है। न ही उसके नाम से रजिस्टर्ड है।

नियुक्ति देने वाले परिवहन अफसर भी जांच के घेरे में सौरभ शर्मा को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति देने की जांच भी लोकायुक्त कर रही है। लोकायुक्त अधिकारियों का कहना है कि यदि जांच में ये प्रमाणित हुआ कि परिवहन विभाग के तत्कालीन अफसरों ने पद का दुरुपयोग करके सौरभ को गलत तरीके से नियुक्ति दी है तो वे भी आरोपी बनेंगे।

सौरभ के पिता सरकारी डॉक्टर थे लेकिन उसे अनुकंपा नियुक्ति परिवहन विभाग में दी गई। नियम के मुताबिक, यदि परिवार का एक सदस्य पहले से सरकारी नौकरी में है तो अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकती है। लेकिन सौरभ और उसकी मां उमा शर्मा ने झूठा एफिडेविट दिया कि परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है।

जबकि वर्ष 2013 में सौरभ के भाई सचिन शर्मा छत्तीसगढ़ पीएससी में सिलेक्ट हो चुके थे। लोकायुक्त की टीम ने ग्वालियर पहुंचकर परिवहन मुख्यालय से उसकी नियुक्ति की पूरी फाइल भी मांगी है। इससे ये पता करने की कोशिश की जा रही है कि किन-किन अफसरों की सिफारिश पर सौरभ की नियुक्ति हुई थी।

सौरभ की मां उमा शर्मा का शपथ पत्र, जो अनुकंपा नियुक्ति के दौरान दिया गया था।

सौरभ की मां उमा शर्मा का शपथ पत्र, जो अनुकंपा नियुक्ति के दौरान दिया गया था।

नकदी खपाने खरीदता था सोने-चांदी के बिस्किट लोकायुक्त की पूछताछ में ये भी साफ हो गया है कि सौरभ नकद पैसों को खपाने के लिए ही सोने और चांदी के बिस्किट्स खरीदता था। उसके पास से जो नोट जब्त हुए हैं, उन्हें दीमक से बचाने के लिए केमिकल पाउडर डाला गया था। अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि की है।

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सौरभ शर्मा पर झूठे एफिडेविट को लेकर होगी FIR

आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा से लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग पूछताछ कर रहे हैं। अब उसकी नई दिक्कत ग्वालियर से शुरू होने वाली है। दरअसल, सौरभ ने परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति लेते समय शपथपत्र में बड़े भाई की सरकारी नौकरी की बात छिपाई थी। इस झूठ को लेकर अब परिवहन विभाग शिकायत करने की तैयारी में है।​​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर…​​​​​​​


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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