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सौ-दोसो साल नहीं, बल्कि 700 साल पुरानी है ये कला! कीमत इतनी की कई गाड़ियां आ जाएं

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Modern art: फड़ पेंटिंग राजस्थान की सदियों पुरानी पारंपरिक चित्रकला है, जो लोक देवताओं और धार्मिक कथाओं को चित्रों में जीवंत करती है. भीलवाड़ा से आई इस कला को अभिषेक जोशी ने सूरत की क्राफ्टरूट प्रदर्शनी में प्र…और पढ़ें

700 साल पुरानी कला

सूरत में आयोजित क्राफ्टरूट प्रदर्शनी में एक अनोखी चित्रकला देखने को मिली, जिसे फड़ पेंटिंग कहा जाता है. यह कला राजस्थान की लोक परंपराओं से जुड़ी हुई है और सदियों से समाज के इतिहास और धार्मिक कहानियों को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करने का काम कर रही है. फड़ पेंटिंग महज एक चित्र नहीं, बल्कि एक जीवंत कहानी होती है, जिसे कपड़े पर उकेरा जाता है.

फड़ पेंटिंग की ऐतिहासिक विरासत
फड़ पेंटिंग की जड़ें राजस्थान में गहराई से जुड़ी हुई हैं, खासतौर पर भीलवाड़ा जिले में यह कला काफी लोकप्रिय है. फड़ शब्द का अर्थ होता है ‘मोड़ना’, और परंपरागत रूप से इन चित्रों को सूर्यास्त के बाद खोला जाता था. ग्रामीण पुजारी-गायक, जिन्हें भोपा और भोपी कहा जाता था, रातभर इन चित्रों के माध्यम से लोक देवताओं की कहानियां सुनाते थे.

कैसे बनाई जाती है फड़ पेंटिंग?
यह कला जितनी पुरानी है, उतनी ही सुंदर और अनोखी भी है. फड़ पेंटिंग में उपयोग किए जाने वाले रंग प्राकृतिक होते हैं, जो पत्थरों से तैयार किए जाते हैं. खादी के कपड़े को स्टार्च करके उसे कैनवास के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके बाद कलाकार इस पर महीन नक्काशी और गहरे रंगों से चित्र उकेरते हैं. यह पेंटिंग पारंपरिक रूप से देवनारायणजी (भगवान विष्णु का अवतार) और पाबूजी महाराज जैसे लोक देवताओं की कथाओं पर आधारित होती थी, लेकिन अब महाभारत, रामायण, पंचतंत्र और समसामयिक विषयों पर भी बनाई जाती है.

फड़ पेंटिंग का आधुनिक रूप
समय के साथ यह कला अब विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हो चुकी है. सूरत में आयोजित क्राफ्टरूट प्रदर्शनी में इसे अभिषेक जोशी ने प्रस्तुत किया, जिनका परिवार इस परंपरा को पीढ़ियों से जीवित रखे हुए है. उनकी इस पेंटिंग को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया.

कीमत और बाजार में मांग
फड़ पेंटिंग की कीमत इसकी जटिलता और आकार पर निर्भर करती है. इसकी कीमत 600 रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक हो सकती है. कलाकार अभिषेक जोशी बताते हैं कि वर्तमान में वे हनुमान चालीसा, दुर्गा सप्तशती, भगवान कृष्ण की लीला, भगवान राम के जीवन से जुड़ी कहानियों पर आधारित पेंटिंग बना रहे हैं. इसके अलावा, ‘ट्री ऑफ लाइफ’ और समसामयिक विषयों पर भी चित्र बनाए जा रहे हैं.

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सौ-दोसो साल नहीं, 700 साल पुरानी है ये कला! कीमत इतनी की कई गाड़ियां आ जाएं


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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