Chhatarpur News: Ruckus Over Mother Sita And Lord Ram, Vice Chancellor Said I Take Back My Words – Amar Ujala Hindi News Live

महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (एमसीबीयू) की कुलगुरु प्रो. शुभा तिवारी द्वारा ओरछा में मां सीता के ऊपर की गई टिप्पणी को लेकर पिछले दो दिनों से उनका विरोध हो रहा है। शुक्रवार को एक ओर कांग्रेस युवा सेवा दल के कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा तो वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन कर अपनो विरोध दर्ज कराया। इसके अलावा शुक्रवार को ही महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी की कुलगुरु प्रो. शुभा तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष भी मीडिया के सामने रखा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुलगुरु प्रो. शुभा तिवारी ने कहा कि उन्होंने जो बयान दिया था उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, उन्होंने मां सीता के व्यक्तित्व को लेकर कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की है। उन्होंने वीडियो में स्वयं के द्वारा कही गई बातों को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया। अंत में उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनकी किसी बात से आम जन की भावनाएं आहत हुई हैं तो वे अपने शब्द वापस लेती हैं। जिस वक्त प्रो. शुभा तिवारी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहीं थीं उसी वक्त कांग्रेस युवा सेवा दल की विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष सचिन राजा चौहान के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ता ज्ञापन लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराते हुए ज्ञापन सौंपा और कुलगुरु द्वारा माफी मांगे जाने की बात कही।

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कुलगुरु के बय़ान का विरोध करते अभाविप सदस्य।
– फोटो : अमर उजाला
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग संयोजक राजदीप तिवारी के नेतृत्व में दर्जनों छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय में ही नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। यहां कुलगुरु ने स्वयं प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचकर उनकी बात सुनी और अपने शब्द वापस लेने की बात कही, जिसके बाद प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ता तथा छात्र-छात्राएं शांत हो गए।
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रामायण को नारीवाद से जोड़कर गलत व्याख्या करना दुर्भाग्यपूर्ण: अभाविप
उक्त मामले को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत कार्यालय मंत्री रोहित राय द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि- महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलगुरु द्वारा ओरछा में आयोजित एक कार्यक्रम में वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास कृत रामचरित मानस पर की गई टिप्पणियों और सीता मां के चरित्र की गलत व्याख्या ने गहरी चिंता उत्पन्न की है। भारतीय संस्कृति और आस्था के केंद्र इन ग्रंथों को नारीवाद के चश्मे से देखकर उनकी आलोचना करना केवल एक बौद्धिक प्रयोग नहीं, बल्कि सांस्कृतिक माक्र्सवाद की वैचारिक प्रवृत्ति का हिस्सा प्रतीत होता है। इसी विचार के तहत पारंपरिक धार्मिक ग्रंथों को सत्ता संघर्ष और सामाजिक अन्याय की कथित कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस विचारधारा का उद्देश्य परंपराओं और धार्मिक मूल्यों को चुनौती देना होता है, जिससे समाज में एक नया विमर्श स्थापित किया जा सके।
अभाविप महाकोशल के प्रांत मंत्री माखन शर्मा और राष्ट्रीय मंत्री कु. शालिनी वर्मा ने कहा कि कुलगुरु महोदया द्वारा रामायण को नारीवाद से जोड़कर उसकी व्याख्या करना और रामचरितमानस पर सवाल उठाना न केवल धार्मिक ग्रंथों की पवित्रता पर आघात है, बल्कि यह हिंदू समाज की आस्था को भी ठेस पहुंचाने वाला कार्य है। यह वही निम्न स्तरीय सांस्कृतिक माक्र्सवाद है, जो भारतीय संस्कृति को नीचा दिखाने के प्रयास में लगा रहता है। भगवान श्री राम सीता माता पूरे विश्व में एकमात्र सर्वसमादूत व्यक्तित्व हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलगुरु महोदया से सार्वजनिक रूप से समाचार माध्यमों पर आकर अपनी बात स्पष्ट करने तथा धार्मिक मान्यताओं पर ठेस पहुंचाने वाले अपने वक्तव्य पर माफी मांगने का मांग करती हैं।
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समाजसेवी युवाओं ने जलाया पुतला
शुक्रवार शाम को जिला मुख्यालय के छत्रसाल चौराहे पर समाजसेवी युवाओं ने भी कुलगुरु के बयान की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही युवाओं ने कुलगुरु का पुतला भी जलाया। समाजसेवी विक्की यादव ने कहा कि कोई भी व्यक्ति यदि हमारे आराध्य के चरित्र पर उंगली उठाएगा तो हम इसक पुरजोर विरोध करेंगे। उन्होंने जिला प्रशासन से कुलगुरु के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की है।
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