आंखों पर पट्टी, नींद पर ताला… BSF जवान को PAK रेंजर्स ने 21 दिन ऐसे की तोड़ने की कोशिश, शेर की तरह लौटा पूर्णम शॉ – BSF soldier Purnam Kumar Shaw harassed in Pakistan Rangers Custody released after 21 days amid Operation Sindoor

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Pakistan News in Hindi: बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तानी रेंजर्स ने 21 दिन बाद लौटाया. इस दौरान जवान को मानसिक यातनाएं दी गई. उनकी पत्नी ने पीएम मोदी और ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया. शेर की तरह ये जवान …और पढ़ें
बीएसएफ जवान स्वदेश लौट आया है. (News18)
हाइलाइट्स
- बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ 21 दिन बाद रिहा हुए.
- पाकिस्तानी रेंजर्स ने शॉ को मानसिक यातनाएं दीं.
- शॉ की पत्नी ने मोदी और ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया.
Pakistan News in Hindi: पाकिस्तान को चाहे लाख समझा लो लेकिन वो अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आता. पंजाब के फिरोजपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा को गलती से पार करने वाले बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को 21 दिन बाद लौटा जरूर दिया गया लेकिन अब जो कहानी सामने आ रही है वो डराने वाली है. पाकिस्तान से लौटे शॉ का दावा है कि पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें एक थप्पड़ तक नहीं मारा, लेकिन अलग-अलग तरीकों से टार्चर करने का कोई मौका भी नहीं छोड़ा. उसे कई दिनों तक आंखों पर पट्टी बांधकर रखा गया. इतना ही नहीं बीएसएफ जवान को ठीक से सोने भी नहीं दिया गया. अलग-अलग तरीके से टॉर्चर का जवान से भारत की खुफिया जानकारी निकालने की पूरी कोशिश की गई.
टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि पूर्णम कुमार शॉ को शारीरिक यातना तो नहीं दी गई लेकिन मानसिक दबाव के कई तरीके अपनाए गए. इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से असर पड़ा है. 23 अप्रैल को बीएसएफ जवान ने गलती से बॉर्डर पार कर दिया था. उनकी रिहाई 14 मई को अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए हुई है. शॉ ने अपनी पत्नी रजनी को बताया कि हिरासत के दौरान उन्हें रात-रात भर पूछताछ का सामना करना पड़ा. पाक रेंजर्स ने बार-बार बीएसएफ की तैनाती और वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी निकालने की कोशिश की. उन्हें नींद से वंचित रखा गया, बाथरूम ब्रेक देने से मना किया गया. कई मौकों पर बीएसएफ जवान की आंखों पर पट्टी बांधी गई. उसे मानसिक रूप से तोड़ने की पूरी कोशिश की गई लेकिन हमारा यह जवान शेर की तरफ वापस लौट आया.
अपराधी जैसा किया गया बर्ताव
शॉ ने बताया कि उन्हें न ब्रश करने दिया गया, न ही सामान्य स्वच्छता बनाए रखने की अनुमति दी गई. इस तरी की चीजों से उनकी मानसिक स्थिति खराब करने की पूरी कोशिश की गई. हिरासत के दौरान शॉ को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया. इस दौरान उसे किसी एयरबेस के पास के इलाके में भी रखा गया. पत्नी रजनी ने बताया कि शॉ ने खुद को पाकिस्तान में जासूस जैसा महसूस किया. पूछताछ का तरीका शा को अपराधी की तरह पेश करने वाला था. रिहाई के बाद शॉ की लगातार डीब्रीफिंग चल रही है, जिसमें उनके अनुभवों और हिरासत के दौरान की गई पूछताछ का विश्लेषण किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि शॉ अभी भी मानसिक आघात से उबर रहे हैं और उनकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है.
भारत सरकार के प्रयासों से हुई वापसी
पूर्णम कुमार शॉ की रिहाई के लिए भारत सरकार और बीएसएफ ने लगातार प्रयास किए. उनकी पत्नी रजनी ने पंजाब और कोलकाता में अधिकारियों से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उनके परिवार को समर्थन दिया. रजनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी को धन्यवाद देते हुए कहा, “पूरे देश का समर्थन मेरे साथ था.” शॉ की रिहाई भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति खासकर पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया था.

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
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