भारतीय सेना ने स्कार्दू एयरबेस पर हमला कर चीन को चिंता में डाला.

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SKARDU AIRBASE: स्कार्दू एयरबेस को अपग्रेड करने में चीन ने वित्तीय मदद के साथ साथ तकनीकी सहयोग भी दिया. चीन के नजरिए से देखें तो उसके CPEC प्रोजेक्ट की सुरक्षा और चीन के सामरिक हितों के लिए स्कार्दू बहुत जरूरी …और पढ़ें
स्कार्दू पर अटैक से चीन भी परेशान
हाइलाइट्स
- भारतीय सेना ने स्कार्दू एयरबेस को निशाना बनाया.
- स्कार्दू एयरबेस पर चीन ने वित्तीय और तकनीकी सहयोग दिया.
- स्कार्दू एयरबेस CPEC प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण है.
SKARDU AIRBASE: भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 11 से ज्यादा एयरबेस को निशाना बनाया है, जिससे पाकिस्तान में खलबली मच गई है. इनमें से एक एयरबेस ऐसा है, जिस पर भारतीय हमले ने पाक से साथ साथ चीन को भी चिंता में डाल दिया है. यह एयरबेस है गिलगित-बाल्टिस्तान का स्कार्दू एयरबेस. पाकिस्तान के कई असेट इस एयर बेस पर मौजूद है. वहीं चीन ने हाल ही में CPEC ऑपरेशन के लिए इस एयरबेस को अपग्रेड किया था, जिसमें रनवे और नाइट लैंडिंग की सुविधा शामिल है. चीन इस एयरबेस का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहा है. यहां चीनी फाइटर और ट्रांसपोर्ट विमान भी देखे गए हैं. जानकारों का मानना है कि अगर भारत और चीन के बीच कभी जंग होती है, तो चीन इस एयरबेस का इस्तेमाल कर सकता है.
स्कार्दू क्यों है चीन के लिए खास?
स्कार्दू सिविल एयरपोर्ट के साथ-साथ पाकिस्तानी वायुसेना का एक महत्वपूर्ण मिलिट्री एयरबेस भी है. इसका इस्तेमाल पाकिस्तान अपने मिलिट्री ऑपरेशंस के लिए करता है. यहां हेलिकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, ड्रोन और फाइटर जेट्स तैनात हैं. पिछले कुछ सालों में चीन ने स्कार्दू एयरबेस पर अपनी मिलिट्री एक्टिविटी बढ़ाई है. इसके पीछे की बड़ी वजहें यह हैं कि, तिब्बत में मौजूद चीनी एयरबेस लेह से 300 से 600 किलोमीटर दूर हैं और 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं. अगर चीन अपने फाइटर जेट्स को उन एयरबेस से उड़ाता है, तो उन्हें आधी ताकत के साथ उड़ान भरनी होगी, जिससे उनकी क्षमता कम हो जाएगी. स्कार्दू की लेह से दूरी 100 किलोमीटर और कारगिल से 75 किलोमीटर है. यहां के एयरबेस में दो रनवे हैं, जिनमें से एक 2.5 किलोमीटर और दूसरा 3.5 किलोमीटर लंबा है. यहां से चीनी फाइटर जेट्स आसानी से कार्रवाई कर वापस लौट सकते हैं. पाकिस्तान भी इसी फिराक में है कि भारत को टू-फ्रंट वार की स्थिति में डाल सके.
CPEC प्रोजेक्ट की लाइफलाइन
पीओके से चीन का ड्रीम प्रोजेक्ट CPEC गुजरता है और इसी के चलते वह उस इलाके में विकास का काम भी कर रहा है. चीन का CPEC पीओके में खुंजराब पास के जरिए आता है, जो दुनिया की सबसे ऊंची बॉर्डर क्रॉसिंग है. यह 15439 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और N-35 काराकोरम हाइवे और चीन के नेशनल हाइवे 314 (G314) को जोड़ता है. सर्दियों में यह इलाका पूरी तरह से बंद हो जाता है. बर्फबारी और माइनस तापमान काम को बाधित करते हैं. ऐसे में चीन अपने CPEC प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए स्कार्दू एयरबेस का इस्तेमाल करता है. ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और सिविल एयरक्राफ्ट के जरिए वह अपनी मौजूदगी जाहिर करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख में LAC पर भारत के साथ तनाव बढ़ने पर चीन ने अभ्यास के नाम पर स्कार्दू एयरबेस पर अपने फाइटर जेट तैनात किए थे. इसके अलावा चीनी J-10 फाइटर जेट भी इस एयरबेस पर कई बार देखे गए हैं.
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