मध्यप्रदेश

Chhatarpur:बाजार भाव और समर्थन मूल्य में अंतर के कारण किसानों को सरकारी खरीदी से मोह भंग, पसरा सन्नाटा – Chhatarpur Farmers Disenchanted With Government Procurement Due To Difference In Market Price Support Price


खरीद केंद्र पर पसरा सन्नाटा
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

हर साल सरकार किसानों की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए छतरपुर जिले में शासकीय समर्थन मूल्य के खरीद केंद्रों को खोलती है। इस साल जिले भर में एक अप्रैल से 77 खरीद केंद्रों पर अनाज खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, चार दिन गुजर जाने के बाद भी इन केंद्रों पर चार दाने भी नहीं खरीदे गए। इसकी सबसे बड़ी वजह किसानों की बेरूखी है। किसानों को सरकार जो समर्थन मूल्य गेहूं की एवज में दे रही है, उससे ज्यादा भुगतान उन्हें बाजार के व्यापारी द्वारा किया जा रहा है। जाहिर है किसान व्यापारी को अपने घर से ही अनाज बेचने में सहूलियत अनुभव कर रहा है।

बता दें कि जिले में इस साल गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद को देखते हुए लगभग डेढ़ लाख मीट्रिक टन अनाज खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को सरकारी खरीद केन्द्रों पर लाने के लिए उनके पंजीयन कराए गए। जिले में 36,400 किसानों ने गेहूं विक्रय के लिए, 8560 किसानों ने चना विक्रय के लिए, 9583 किसानों ने सरसों और 828 किसानों ने मसूर बेचने के लिए पंजीयन कराए हैं। हालांकि, पंजीयन की यह संख्या भी पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। सरकार को उम्मीद है कि वह इस साल डेढ़ लाख मीट्रिक टन अनाज छतरपुर जिले से खरीदेगी। लेकिन शुरुआती रूझान से इस उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

इन कारणों से शुरू नहीं हो पाई खरीदी…

  • इस व्यवसाय के जानकार बताते हैं कि सरकारी खरीद केन्द्रों पर अनाज विक्रय करना किसानों के लिए मुश्किल विकल्प बन गया है।
  • सरकार किसानों से 2125 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अनाज खरीद रही है, जबकि बाजार का व्यापारी इसी मूल्य पर किसान का अनाज बगैर जांचे घर से खरीद रहा है। जाहिर है किसानों को जांच-पड़ताल की झंझटों से छुटकारा मिल जाता है और उन्हें बगैर भाड़ा खर्च किए घर पर ही नगद भुगतान हो जाता है।
  • उधर, सरकारी खरीद केन्द्रों पर अनाज बेचने के लिए किसानों को पहले विक्रय तारीख तय करने के लिए मोबाइल से स्लॉट बुक करना पड़ता है। फिर अपना अनाज खरीद केन्द्रों पर ले जाकर उसकी जांच करानी पड़ती है। जांच के बाद यह अनाज तौला जाता है। अनाज तुलाई के एक सप्ताह के भीतर किसान को उसके खाते में भुगतान मिल जाता है।
  • खाते में भुगतान मिलने के कारण कई बार किसान को उसका पुराना कर्ज तत्काल चुकाना पड़ता है। जबकि बाजार में अनाज बेचने के कारण वह तुरंत कर्ज चुकाने से बच जाता है। इन सभी कारणों के चलते सरकारी खरीद केन्द्रों पर फिलहाल सन्नाटा पसरा हुआ है।
  • एक अप्रैल से खरीदी शुरू हो गई है। अनेक किसानों की फसलें अभी खलिहान में है। कई जगह ओला-पानी गिरने के कारण भी फसल में नमी है। शायद इसीलिए अभी खरीदी शुरू नहीं हो पाई है जल्द ही खरीदी शुरू होगी।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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