There was another uproar over the shooting incident inside the police station | प्रधान आरक्षक गोलीकांड मामले में दो अस्पताल आमने-सामने: संजय गांधी हॉस्पिटल ने निजी अस्पताल के दावों को बताया झूठा, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी – Rewa News

सतना के जैतवारा थाना क्षेत्र में प्रधान आरक्षक प्रिंस गर्ग को गोली लगने के मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। इलाज को लेकर परिजन और अस्पताल आमने-सामने हैं। परिजनों ने जहां रीवा के निजी अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है, वहीं जवाब में निजी अस्पताल
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मृतक प्रिंस गर्ग के साले विनीत दुबे ने रीवा कलेक्टर को ज्ञापन देकर निजी अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल ने इलाज में लापरवाही बरती, लाखों रुपए वसूले और गुमराह किया गया कि मरीज पूरी तरह ठीक हो जाएगा। यहां तक कि गोली निकालने का दावा भी किया गया, लेकिन सर्जरी के बाद जब मरीज को दिल्ली के मैक्स अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने कहा कि मरीज ब्रेन डेड है और पहले से गलत उपचार हुआ है।
संजय गांधी अस्पताल ने निजी अस्पताल के दावों का खंडन किया संजय गांधी अस्पताल प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि मरीज को 29 अप्रैल की रात 3 बजे अस्पताल में भर्ती किया गया था और सुबह 10:30 बजे परिजन उसे अपनी मर्जी से निजी अस्पताल ले गए। अस्पताल के सीएमओ डॉ. यत्नेश त्रिपाठी ने कहा कि प्रिंस को समय रहते इलाज दिया गया और उसे स्टैबलिश कर दिया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में रीजन की एकमात्र सिटी स्कैन मशीन है, और निजी अस्पतालों के मरीज भी जांच के लिए यहीं भेजे जाते हैं। ऐसे में संसाधन की कमी का आरोप तथ्यहीन है।
निजी अस्पताल ने सरकारी सिस्टम पर उठाए सवाल मिनिर्वा अस्पताल के डॉक्टर शिरीष मिश्रा ने बयान में कहा कि जब मरीज को लाया गया तब गोली लगने के 24 घंटे बीत चुके थे और बीपी बेहद कम था। गले में ट्यूब डालने का प्रयास किया गया, जो सफल नहीं हो पाया। उनका दावा है कि परिजन पहले जिला अस्पताल और फिर संजय गांधी अस्पताल ले गए, जिससे काफी समय नष्ट हो गया।
स्वास्थ्य मंत्री ने जांच की बात कही
दोनों अस्पतालों के बयानों के बीच विवाद और गहराता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने मामले की जांच कराने की बात कही है। संजय गांधी अस्पताल प्रबंधन ने निजी अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
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