Drain Water Getting Into Ujjain Shipra River Ujjain Ls Seat Congress Candidate Mahesh Parmar Bath – Amar Ujala Hindi News Live

कांग्रेस प्रत्याशी परमार ने किया स्नान।
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धार्मिक नगरी उज्जैन की जीवनदायिनी मां शिप्रा को इन दिनों खुद अपने मोक्ष का इंतजार है। उज्जैन के लिए मां शिप्रा जीवनदायिनी हैं। भगवान श्रीराम स्वयं अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करने के लिए इस स्थान पर पहुंचे थे। इसीलिए इसे रामघाट भी कहा जाता है। लेकिन, मां शिप्रा को देखकर अब ऐसा लगता है मानों उन्हें खुद अपने उद्धार की आवश्यकता है।
श्रद्धालु प्रतिदिन भगवान महाकाल के दर्शन-पूजन करने के बाद मां शिप्रा में डुबकी लगाकर धर्म लाभ अर्जित करने पहुंचे है। लेकिन, अब जब यहां श्रद्धालु पहुंचे तो उनकी आस्था आहत हो गई, क्योंकि रामघाट पर मां शिप्रा में गंदे नालों का पानी मिल रहा था। नालों में पानी आने की गति इतनी तेज थी कि घाट पर ऊंची ऊंची लहरें उठ रही थीं और दुर्गंध भी फैल रही थी। इस दौरान घाट पर उपस्थित लोगों ने मां शिप्रा में गंदे नाले मिलने की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों और जिम्मेदारों को दी। हालांकि, इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।
इसी बीच शिप्रा में गंदे नाले का पानी मिलने की जानकारी लगते ही उज्जैन सीट से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी महेश परमार रामघाट पहुंच गए। उन्होंने माँ शिप्रा की दुर्दशा पर जिम्मेदारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि धर्म के नाम पर भाजपा वोट मांगना तो जानती है, लेकिन वोट लेने के बाद किसी भी समस्या से उनका कोई सरोकार नहीं रहता है। देश में डबल इंजन की सरकार है। लेकिन, फिर भी मां शिप्रा के हाल बेहाल है। केंद्र और राज्य की सरकारें अपने आप को सनातनी बताती हैं लेकिन इन्हें मां शिप्रा में मिलते गंदे नाले नजर नहीं आते। उन्होंने कहा कि मां शिप्रा में गंदे नाले मिलना कोई पहली बार नहीं हो रहा है।
#WATCH मध्य प्रदेश: उज्जैन लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार महेश परमार ने शिप्रा नदी में गंदे नाले का पानी मिलाने को लेकर नाले के पानी में स्नान कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। pic.twitter.com/KyGRNFW4cO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 23, 2024
करीब छह महीने पहले भी रामघाट पर ऐसे ही नाले फूटे थे। इस दौरान जिम्मेदारों ने कहा था कि दोबारा ऐसी घटना नहीं होगी, लेकिन फिर नाले फूटे और मां शिप्रा प्रदूषित हो गई। इससे नाराज कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार सरकार का विरोध करते हुए मां शिप्रा में मिल रहे गंदे नाले के पास बैठ गए। उन्होंने नदी में मिल रहे नाले के पानी से स्नान किया और भगवान सूर्य को जल अर्पित भी किया। इस दौरान उन्होंने शपथ ली कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है, तब तक में मां शिप्रा को शुद्ध करने की लड़ाई लड़ता रहूंगा।