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INS तमाल: भारतीय नौसेना में शामिल हुआ नया ताकतवर जंगी जहाज.

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INS तमाल से भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा

हाइलाइट्स

  • INS तमाल भारतीय नौसेना में शामिल हुआ.
  • INS तमाल आखिरी विदेशी निर्मित वॉरशिप है.
  • INS तमाल ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है.

INDIAN NAVY WARSHIP: भारतीय नौसेना के बेड़े में ताकतवर जंगी जहाजों की भरमार है. इसी में एक नया वॉरशिप और जुड़ गया है. रूस के कलिनिनग्राद में INS तमाल पर भारतीय ध्वज लहराया गया. यह कमिशनिंग नौसेना के इतिहास में अपना नाम और 1 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण तारीख के तौर पर दर्ज करा गया. INS तमाल विदेश से आने वाला आखिरी वॉरशिप बन गया है. इसके बाद विदेश में बना कोई भी वॉरशिप नौसेना में शामिल नहीं होगा. यानी अब सब कुछ स्वदेशी होगा और आत्मनिर्भर भारत के तहत होगा. भारतीय समयानुसार लगभग 2 बजे इस मौके पर नौसेना के वेस्टर्न नेवल कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल संजय जे सिंह की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किया गया. यह दुनिया का सबसे घातक मल्टी रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है, जिसे रूस के यांतर शिपयार्ड में तैयार किया गया है. इस वॉरशिप से दुनिया की सबसे खतरनाक एंटी शिप मिसाइल ब्रह्मोस को दागा जा सकेगा.

अरब सागर में चीन और पाकिस्तान के डर की नई वजह
तमाल एक तरह की तलवार को कहा जाता है। उसी तलवार की धार जैसी इस वॉरशिप की मार भी होने वाली है. खास बात यह है कि यह गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक के समुद्री इलाके की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेगा. नौसेना के वेस्टर्न नेवल कमांड जिसे स्वॉर्ड आर्म के नाम से जाना जाता है, यह उसका हिस्सा है. वेस्टर्न सी बेड पर तलवार और तेग क्लास के अब 8 स्टेल्थ फ्रिगेट्स की तैनाती होगी. तमाल समंदर में 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से मूव कर सकता है. इससे एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइल फायर किया जा सकता है. तमाल 3000 किमी तक की दूरी एक बार में तय कर सकता है. एंटी सबमरीन वॉरफेयर के लिए भी इसे खास तौर पर डिजाइन किया गया है. दुश्मन की सबमरीन के हमलों से निपटने के लिए एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो भी इस वॉरशिप में मौजूद हैं. इस वॉरशिप पर एक हेलीकॉप्टर को भी तैनात किया जा सकता है। इसका वजन 3900 टन है.

तमाल है आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप
तलवार क्लास का यह फॉलोऑन प्रोजेक्ट है. INS तुशिल तलवार क्लास के तीसरे बैच का पहला और तमाल दूसरा वॉरशिप है. भारतीय नौसेना में तलवार क्लास के वॉरशिप 2003 से शामिल होना शुरू हो गए थे. अब तक इस क्लास के 6 जंगी जहाज भारतीय नौसेना में समुद्री सुरक्षा में लगे हैं. इन 6 स्टेल्थ फ्रिगेट्स में से 4 को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है, जबकि बाकी दो को ब्रह्मोस से लैस करने का काम जारी है. तीन साल से ज्यादा से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते माना जा रहा था कि इसकी डिलिवरी में देरी हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इन वॉरशिप में यूक्रेन में निर्मित इंजन लगे हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग से पहले ही वॉरशिप के लिए इंजन डिलिवर हो चुके थे.

वॉरशिप की आखिरी विदेशी डील
साल 2016 में भारत और रूस के बीच 4 तलवार क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स बनाने के लिए समझौता हुआ था, जिनमें से दो रूस में और दो भारत में बनने थे. रूस में बने दो वॉरशिप में से पहला INS तुशिल को खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 9 दिसंबर 2024 को रूस जाकर नौसेना में शामिल किया. तुशिल ने 12,500 मील से अधिक की यात्रा करते हुए 8 देशों से होते हुए भारत पहुंचा. अब INS तमाल भी मित्र देशों से होते हुए भारत पहुंचेगा. भारत में गोवा शिपयार्ड में बन रहे दोनों स्टेल्थ फ्रिगेट्स के निर्माण कार्य जोरों पर है.इसका पहला वॉरशिप त्रिपुट को समुद्री परीक्षण के लिए पानी में उतार दिया गया है. दूसरे शिप का नाम है तवस्या.

homenation

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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