2500 workers trained in ‘public service’ at AIIMS Bhopal | भोपाल एम्स में 2500 कर्मियों को ‘जन सेवा’ का प्रशिक्षण: कर्मचारियों में सिटिजन फर्स्ट सोच विकसित करना लक्ष्य; ट्रेनिंग के लिए 26 टीमों का गठन – Bhopal News

देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक एम्स भोपाल अब केवल चिकित्सा उपचार और अनुसंधान तक सीमित नहीं, बल्कि जन सेवा और उत्तरदायित्व की भावना को भी संस्थागत रूप देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। संस्थान में राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा
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कार्यक्रम का दूसरा और तीसरा चरण 7 जुलाई से 4 सितंबर तक चलेगा। इसका उद्देश्य कर्मचारियों में सिटिजन फर्स्ट सोच को विकसित करना और सेवा भावना को मजबूती देना है।
यह प्रशिक्षण इसलिए खास
- यह कार्यक्रम पारंपरिक ट्रेनिंग से अलग है। यहां कोई ट्रेनर नहीं होता, बल्कि फेसिलिटेटर होते हैं।
- फेसिलिटेटर कर्मचारियों को यह नहीं सिखाते कि क्या करना है, बल्कि उन्हें अपने भीतर छिपी सेवा भावना को पहचानने और जगाने में मार्गदर्शन देते हैं।
- इस चरण में 26 टीमों का गठन किया गया है, जिनमें 52 प्रशिक्षित फेसिलिटेटर हैं। ये टीमें मिलकर 75 से अधिक सत्रों का संचालन करेंगी।
सेवा भाव से जुड़ेंगे कर्मचारी कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण यात्रा पारंपरिक ज्ञान प्रदान करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि हर कर्मचारी को ‘सेवा’ के मूल भाव से जोड़ने की कोशिश है। जब हर व्यक्ति अपने काम को जन सेवा समझकर करेगा, तो हमारी प्रणाली सच में नागरिक-केंद्रित बन सकेगी।
कार्यक्रम का प्रभाव
- सरकारी सेवाओं में उत्तरदायित्व और संवेदनशीलता जैसे मूल्यों को स्थापित करना।
- कर्मचारियों में अंदरूनी प्रेरणा और सेवा भावना को जागृत करना।
- सेवा डिलीवरी प्रणाली को सिस्टम से व्यक्ति स्तर तक नागरिक हितैषी बनाना।
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