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बढ़ते ही जा रहे रिटेल इन्वेस्टर, डीमैट खातों की संख्या बढ़कर 19.4 करोड़ हुई

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भारत के शेयर बाजार में रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. देश में डीमैट अकाउंट की संख्या बढ़कर 19.4 करोड़ हो गई है.

शेयर बाजार में खुदरा भागीदारी बढ़ी.(Image:PTI)

मुंबई. भारतीय शेयर बाजार में रिटेल इन्वेस्टर की संख्या तेजी से बढ़ती ही जा रही है. हालांकि शेयर बाजार में तकरीबन 90 फीसदी रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान ही होता है. मगर इसके बावजूद लोगों का रूझान तेजी से शेयर बाजार की ओर बढ़ती जा रही है. भारतीय बाजार में खुदरा निवेशकों की उल्लेखनीय भागीदारी देखी जा रही है और डीमैट खातों की संख्या 2019 के 3.6 करोड़ से बढ़कर 2025 में 19.4 करोड़ हो गई. बाजार नियामक सेबी की एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही. इस बीच, लिस्टेड कंपनियों में घरेलू संस्थागत निवेशकों का स्वामित्व 13 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया जबकि विदेशी स्वामित्व 22 प्रतिशत से घटकर 17 प्रतिशत रह गया है.

आईवीसीए नवीकरणीय ऊर्जा शिखर सम्मेलन 2025 द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की कार्यकारी निदेशक रुचि चोजर ने कहा कि विश्वास निवेश की आधारशिला है और भारत ने वह विश्वास हासिल कर लिया है. आईवीसीए द्वारा जारी बयान में रुचि चोजर के हवाले से कहा गया कि ‘सेबी का नियामक दृष्टिकोण पूंजी निर्माण को प्रणालीगत स्थिरता और निवेशक संरक्षण के साथ संतुलित करने पर केंद्रित रहा है. विश्वास निवेश की आधारशिला है और भारत ने वह विश्वास हासिल किया है.’

रिटेल इन्वेस्टर बढ़े
उन्होंने बताया कि खुदरा भागीदारी 2019 में 3.6 करोड़ डीमैट खातों से बढ़कर 2025 में 19.4 करोड़ हो गई. रुचि चोजर ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारतीय कंपनियों ने शेयर एवं ऋण के जरिये करीब 93 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में इक्विटी जारी करने से रिकॉर्ड 4.3 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए जिसमें आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से 1.7 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं.

रिटेल इन्वेस्टर का बढ़ना भरोसे का प्रतीक
उन्होंने कहा कि ‘यह बढ़ोतरी न केवल नीति और बुनियादी ढांचे से, बल्कि निवेशकों के बढ़ते विश्वास से भी प्रेरित है.’ इसके अलावा उन्होंने भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में पूंजी बाजार के महत्व पर भी बात की. उन्होंने कहा कि ‘भारत के हरित बदलाव की ओर बढ़ने में पूंजी बाजारों और विशेष रूप से वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.’

Rakesh Singh

Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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