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व्यक्ति को कब प्राइवेट प्रतिरक्षा का बचाव नहीं मिल सकता है जानिए/IPC…

हर व्यक्ति को अपनी निजी सुरक्षा करने का अधिकार होता है भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 96 से 106 के अंतर्गत यह अधिकार दिया गया है, लेकिन इस अधिकार पर भी कुछ अंकुश लगाना बहुत आवश्यक हैं यह कानून को बचाने के लिए बहुत जरूरी था। इस लिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 99 प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार पर कुछ अंकुश की बात करती है जानिए।

★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 99 की परिभाषा:-★ 

व्यक्ति को प्राइवेट प्रतिरक्षा का  अधिकार कब नहीं मिल सकता है:-1. अगर कोई शासकीय सेवक सावधानीपूर्वक अपना कार्य बिना किसी आपराधिक उद्देश्य से कर रहा है तब उसका विरोध करने वाले व्यक्ति को प्राइवेट प्रतिरक्षा का लाभ नहीं मिलेगा।

2. अगर कोई व्यक्ति किसी लोकसेवक के आदेश पर बिना मृत्यु करने के आशय से सावधानीपूर्वक कोई कार्य करता है तब उसके विरोध करने वाले व्यक्ति को निजी सुरक्षा का लाभ नहीं मिलेगा।

3. अगर कोई व्यक्ति चोरी, लूट या अन्य अपराध करके भाग रहा है एवं वह किसी व्यक्ति के पकड़ में आ जाता है ओर वह चोर हमला नहीं करता है तब उस चोर या लुटेरे को मारना प्राइवेट प्रतिरक्षा का बचाव नहीं होगा।

4. अगर हमलावर ने एक थप्पड़ से हमला किया तब व्यक्ति को उतना ही बल का प्रयोग करना है जितना हमलावर ने किया हैं। इससे अधिक बल का प्रयोग करना प्राइवेट प्रतिरक्षा का बचाव नहीं होगा।


उपर्युक्त नियम का उल्लंघन पर प्राइवेट प्रतिरक्षा का बचाव नहीं होगा।


:- लेखक बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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