Two Youths Fighting Against the System in MP | Battle Against Corruption | एमपी में सिस्टम से लड़ रहे दो युवकों की कहानी: एक की नौकरी गई, जेल भेजा, मां कह रही-गांव चल, दूसरा बोला-इमेज खराब कर रहे – Madhya Pradesh News

मध्यप्रदेश में दो युवक इन दिनों सुर्खियों में हैं। दोनों के खिलाफ केस दर्ज हुए हैं। दोनों की भ्रष्टाचार और सिस्टम के खिलाफ लड़ाई जारी है। पहला नाम है राधे जाट का। जो इंदौर में एमपीपीएससी के स्टूडेंट्स की मांगों को लेकर सक्रिय हैं। पिछले महीने बड़ा आंदो
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दूसरा नाम है व्यापमं घोटाले को सामने लाने वाले व्हिसल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी का। 10 साल से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे है। आशीष पर ग्वालियर में उनकी सुरक्षा में लगे गार्ड ने केस दर्ज करवाया है, जबकि उन्होंने पुलिस अफसरों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए हैं। आशीष के आरोपों को ग्वालियर पुलिस ने निरधार बताया है।

दैनिक भास्कर ने दोनों से बात की। दोनों का कहना है कि आवाज उठाने की कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है। आदतन अपराधी तक बताया जा रहा है। हमने प्रशासन से भी बात की और ये समझने की कोशिश की कि क्या वाकई दोनों आंदोलन करते-करते आदतन अपराधी हो गए या फिर ये सबकुछ राजनीति से प्रेरित है…
पढ़िए ये रिपोर्ट…
सबसे पहले राधे जाट के बारे में जान लीजिए
2016 में बैंक में नौकरी शुरू की, फिर कॉलेज की जमीन के लिए आंदोलन
38 वर्षीय राधे जाट मूल रूप से देवास जिले के हाटपीपल्या के डिगोत गांव के रहने वाले हैं। इंदौर में स्कूल एजुकेशन और मास्टर डिग्री पूरी की। बैंकिंग सेक्टर से नौकरी की शुरुआत की। 2016 में आइडीएफसी बैंक ज्वाइन कर ली। सबकुछ अच्छा चल रहा था। तभी 2017 में इंदौर कृषि महाविद्यालय की जमीन का विवाद सामने आया। कृषि महाविद्यालय का पूर्व छात्र होने के नाते महाविद्यालय की जमीन बचाने के लिए आंदोलन किया। कामयाब हुए।
एनईवाययू से कब जुड़े : 2020 में सक्रिय तौर पर एनईवाययू (नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन) से राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य के रूप में जुड़े। संगठन में किसी को भी अध्यक्ष नहीं बनाया गया है।

40 लाख की जॉब छूटी:
पिछले महीने 5 दिसंबर 2024 को राधे ने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर एमपीपीएस स्टूडेंट की मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी थी। राधे का कहना है कि मेरी बढ़ती गतिविधियों के बीच बैंक पर भी दबाव बनाया गया। जहां 2016 से जॉब कर रहा था वहां अचानक नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया। मैं वहां इंदौर-भोपाल क्लस्टर को लीड करता था। करीब 40 लाख सालाना का पैकेज था, जिसमें सैलरी 25 लाख और 15 लाख इंसेंटिव शामिल है। बैंक के द्वारा ऊपर से प्रेशर का हवाला देकर रिजाइन के लिए दबाव डाला गया। 10 दिसंबर को रिजाइन किया। 18 से आंदोलन शुरू हुआ। आंदोलन के बीच 19 दिसंबर को फोन आया कि आज जॉब का लास्ट वर्किंग डे है।

आंदोलन खत्म, एफआईआर शुरू:
21-22 दिसंबर की दरमियानी रात मांगों के संबंध में आश्वासन मिलने पर आंदोलन खत्म हुआ। 22 दिसंबर को सुबह एनईवाययू का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने भोपाल पहुंचा, जिसमें राधे जाट शामिल थे। 20 मिनट चर्चा के बाद प्रतिनिधिमंडल इंदौर लौटा। रास्ते में पता चला कि राधे जाट, रणजीत सहित अन्य के खिलाफ संयोगितागंज और भंवरकुआ थाने में केस दर्ज हुआ है।
31 दिसंबर को एमपीपीएससी का नोटिफिकेशन, अगले दिन जेल भेजा
31 दिसंबर की रात एमपीपीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा 2025 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। कुल 150 वैकेंसी निकाली गई। राधे का कहना है कि हमने 450 पोस्ट की मांग की थी। आश्वस्त किया था कि ज्यादा पोस्ट निकाली जाएगी, लेकिन हमारे साथ धोखा हुआ। रात को कई स्टूडेंट के फोन आए। करीब 200 स्टूडेंट के साथ ऑनलाइन मीटिंग हुई। तय हुआ अगले दिन बैठक करेंगे।
सुबह 1 जनवरी को अचानक घर पर पुलिस आ गई। साल के पहले दिन सुबह 9 बजे परिवार सहित मंदिर जा रहा था। पुलिसकर्मियों ने कहा कि टीआई साहब बुला रहे हैं। भंवरकुआं थाने चलना पड़ेगा। कार में बैठाया, लेकिन थाने नहीं ले गए। दिनभर कभी बायपास तो कभी किसी और जगह घूमाते रहे।
मोबाइल छीन लिया। वकील से बात भी नहीं करने दी। 2 जनवरी की सुबह पता चला, साथी रणजीत को भी पुलिस ने इसी तरह उठाया था। घर वाले परेशान हो रहे थे। कोर्ट में पेश किया। जमानत पर आपत्ति ली, फिर जेल भेज दिया।

नोटिस, तारीख 2 जनवरी : आदतन अपराधी, लोग रिपोर्ट करने में डरते हैं
जोन 3 के पुलिस उपायुक्त हंसराज सिंह के द्वारा 2 जनवरी 2025 को राधे जाट के संबंध में नोटिस जारी किया गया, जिसमें लिखा था कि संयोगितागंज थाना प्रभारी की रिपोर्ट अनुसार राधे जाट द्वारा क्षेत्र में लगातार आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। आदतन अपराधी है, जिससे क्षेत्र में और समाज में भय व्याप्त है। आम लोग उसकी रिपोर्ट करने में डरते हैं, जिससे क्षेत्र में शांति भंग होने की संभावना है।
बदमाश का प्रतिभूति के बिना स्वछंद रहना समाज के लिए परिसंकटमय है। ऐसे में 3 साल सदाचार कायम रखने के लिए 30 हजार रुपए का बंधपत्र क्यों न कराया जाए। इस संबंध में अपना जवाब राधे जाट 13 जनवरी को उपस्थित होकर दें।

पुलिस ने नोटिस में आदतन अपराधी शब्द का जिक्र किया है।
नोटिस तारीख 20 जनवरी : रंजिश रखने वाला बताया
संयोगितागंज एसीपी तुषार सिंह ने 20 जनवरी 2025 को एक नोटिस राधे जाट को भेजा। नोटिस में उन्होंने लिखा है कि आपने साथियों के साथ 18 दिसंबर 2024 से 22 दिसंबर 2024 के बीच मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। कोचिंग क्लासेस और लाइब्रेरी के स्टूडेंट्स को भी साथ लिया। बिना अनुमति अवैध रूप से धरना-प्रदर्शन, नारेबाजी की गई। ये पुलिस आयुक्त के आदेश का उल्लंघन था। आपके खिलाफ संयोगितागंज थाने में केस दर्ज हुआ, जो जांच में है। आप दोबारा धरना-प्रदर्शन कर सकते हैं। केस दर्ज होने पर आप रंजिश रखे हुए हैं। कभी भी लड़ाई-झगड़ा कर शांति व्यवस्था भंग कर सकते हैं, इसलिए आप उपस्थित होकर बताएं कि अगले 12 महीने तक आप शांति कायम रखेंगे। क्यों न आपसे 50 हजार रुपए का बंधपत्र और इतनी ही राशि की सक्षम प्रतिभूति ली जाए।
राधे बोला – मां कहती है इन लोगों के भरोसे मत रह
राधे का कहना है कि घर में मां-पिता और छोटा भाई है। पिता गांव में रहते हैं। छोटा भाई भी खेती करता है। मां और पढ़ाई के लिए भाई के बच्चे इंदौर में साथ रहते हैं। मेरी परेशानी देख मां डरने लगी है। बहुत टेंशन मैं रहती है। मुझे आदतन अपराधी घोषित किया जा रहा है। कार्रवाई हो रही है। पुलिस के नोटिस आ रहे हैं। मां कहती है गांव चल, वहीं खेती करना। इन लोगों के भरोसे मत रह। पिता को चिंता होती है नौकरी छीन ली गई है।

जवाब के लिए उन्होंने मांगा है टाइम
संयोगितागंज के एसीपी तुषार सिंह से जब हमने आरोपों को लेकर बात की तो उन्होंने कहा कि राधे जाट पर बॉन्ड ओवर की कार्रवाई अभी नहीं हुई है। मामला प्रोसेस में है। उन्होंने जवाब के लिए कुछ वक्त मांगा है। रही बात उनके द्वारा पुलिस पर आदतन अपराधी घोषित करने के आरोप की तो मैंने तो कहीं भी नहीं लिखा कि आप आदतन अपराधी हो। आरोप-प्रत्यारोप के लिए तो कुछ भी बोल सकते हैं।

आशीष चतुर्वेदी ने पुलिस पर लगाए भ्रष्टाचार-रिश्वतखोरी के आरोप
व्यापमं घोटाले को उजागर करने वाले 34 वर्षीय आशीष चतुर्वेदी को 2014 से पुलिस सुरक्षा मिली हुई है। जिसमें एक गार्ड घर पर और एक गनमैन साथ में चलता था। ड्यूटी रिलीवर के हिसाब से चार लोग बारी-बारी घर पर और चार गनमैन के रूप में ड्यूटी देते थे। लगातार मिल रही धमकियों के कारण मैंने ही सुरक्षा मांगी थी।
आशीष का कहना है कि 14 जनवरी के बाद उनकी सुरक्षा में कोई नहीं है। परिवार और उनकी जान को खतरा है।
इसी दिन गनमैन शैतानसिंह तोमर ने आशीष की थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। आशीष पर ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों से अभद्रता के आरोप हैं, हालांकि उन्होंने आरोपों से इनकार किया है।
आशीष का कहना है कि मेरे खिलाफ झूठी शिकायत की गई है, लेकिन मैं न तो डरूंगा और न ही झुकूंगा।
सेक्सटॉर्शन का रैकेट पकड़ा, मेरे ही पीछे पड़ गए
आशीष ने कहा कि मैंने पुलिस सेक्सटॉर्शन का रैकेट पकड़ा है। पुलिस सट्टे वालों से रिश्वत लेती है। आरोपियों को बचाने के लिए सेटलमेंट करती है। इसके खिलाफ मैंने शिकायत की।

एसपी धर्मवीर यादव से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है। मार्च 2024 में उनकी पोस्टिंग ग्वालियर में हुई। साल 2020 में उनकी शिकायत यूपीएससी में की गई, जिसमें बताया गया कि इन पर आईपीसी की धारा 302 और 307 के केस दर्ज हैं। शिकायत मेरे नाम से हुई थी, जबकि मैंने शिकायत नहीं की।
तत्कालीन ग्वालियर एसपी ने एडिशनल एसपी से जांच करवाई। उन्होंने मेरे बयान लिए मैंने यही कहा कि मैंने शिकायत नहीं की, लेकिन तथ्यों की जांच कर लीजिए। पिछले साल मैंने ई-एफआईआर का आवेदन भेजा, जिसमें रिश्वतखोरी-भ्रष्टाचार की जांच की मांग की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
जो सुरक्षाकर्मी भेजे वो नशा करते थे
आशीष ने कहा कि रही बात मेरी ड्यूटी में लगे सुरक्षाकर्मियों को बदलने की तो मेरे पास जिसे भी भेजते वो एक तरह से उसके लिए पनिशमेंट होता। पुलिस अफसरों ने ही तय किया कि सुरक्षाकर्मियों का 15 दिन में रोटेशन होगा, इसलिए बीते दस सालों में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी बदले गए। कुछ को बदलने की शिकायत मैंने की।

सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, आईएम नॉट ए टेररिस्ट
आशीष चतुर्वेदी ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म एक्स पर पोस्ट डाली है, जिसमें लिखा है आई एम एन एक्टिविस्ट, नॉट ए टेररिस्ट। मैं आपसे समय मांगता हूं, मुझे समय दें, मैं सभी सबूत पेश करूंगा। मैं लगातार बता रहा हूं ग्वालियर पुलिस भ्रष्टाचार में लिप्त है। मेरे पास कई सबूत हैं, जो साबित करते हैं कि वो रिश्वतखोरी में शामिल है।
उन्होंने एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, जिसमें वो पुलिस थाना झांसी रोड ग्वालियर के बाहर खड़े हैं।

आशीष का कहना है कि उन्हें पुलिस थानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
वीडियो में आशीष का कहना है कि पुलिस ने उन्हें बुलाया था। पहले बैठने के लिए कहा, लेकिन बयान दर्ज नहीं किए। बाद में बोला गया कि आप जा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर बुला लिया जाएगा।
एक-दो गलत हो सकते हैं, सभी तो नहीं हो सकते
आरोप आधारहीन हैं। सीएसपी हीना खान के खिलाफ शिकायत की। जांच करवाई। सिक्युरिटी का इश्यू था। 10 लोग सिक्युरिटी में लगे थे। सुरक्षा वापस ले ली गई है। 2 सुरक्षाकर्मियों को रखा है। सुरक्षाकर्मियों के साथ बदसलूकी आशीष चतुर्वेदी के द्वारा की गई।

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