मध्यप्रदेश

Gwalior demands accountability – where is our smart city? | ग्वालियर मांगे हिसाब – आखिर कहां है हमारी स्मार्ट सिटी: 1000 करोड़ में से 274 करोड़ रुपए उन कामों में खपाए जो स्मार्ट सिटी के थे ही नहीं – Gwalior News

स्मार्ट सिटी मिशन का मकसद था- शहर में स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट सुविधाएं विकसित करना। पिछले नौ सालों में स्मार्ट सिटी कंपनी ने इस मकसद के लिए मिले करीब 1000 करोड़ रुपए में से 941 करोड़ रुपए खर्च कर डाले, लेकिन कुछ भी स्मार्ट नहीं हुआ। ग्वालियर

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इन विभागों पर 274 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अमृत प्रोजेक्ट-1, स्वच्छता, ब्यूटीफिकेशन सहित अन्य कामों में खर्च हो गई। स्मार्ट सिटी ने एरिया बेस्ट डेवलपमेंट और पैन सिटी पर खुद 490 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि के काम किए। वे वर्तमान में दम तोड़ रहे है। स्मार्ट सिटी के स्मार्ट अफसरों ने शहर की जनता की सुविधा के लिए चलीं इंटरसिटी-इंट्रा सिटी बस सेवा, पब्लिक बाइक शेयरिंग और स्मार्ट पार्किंग पर खुद की पीठ थपथपाई थी।

वे उन्हीं अफसरों की अनदेखी के कारण बंद हो गए। 116.54 करोड़ के कार्य वर्तमान में चल रहे हैं। इन कामों को काफी पहले पूरा हो जाना था लेकिन अफसरों की लेतलाली के कारण यह कब पूरे होंगे कहना मुश्किल है। इसके साथ ही 60 करोड़ रुपए प्रशासनिक सहित अन्य कार्यों केक लिए रिजर्व रहे जबकि करीब 59 करोड़ अभी बचे हुए हैं।

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ग्वालियर स्मार्ट सिटी को खुद की आय जनरेट वाले काम ज्यादा करना थे। उनमें से सिर्फ इंटेलीजेंट मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) पर ही काम हुआ है। इसके अलावा स्मार्ट सिटी निगम के कामों को पूरा करने में लगा रहा।

पिछले साल केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की बड़ी अवधि 31 मार्च तक की है। इसे ध्यान में रखकर वर्तमान में अफसर फाइनेशियल वर्क पर ज्यादा ध्यान देने में लगे है। जबकि जो काम पूरे होकर बर्बाद हो गए है। उनको आगे सुरक्षित करने पर ठोस प्लानिंग नहीं की जा रही है।

606 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि के प्रोजेक्ट पर काम, उनमें से कई की हालत खराब

प्लान में नहीं थे अमृत प्रोजेक्ट और स्ट्रीट लाइट, इन पर 68.22 करोड़ खर्च

अमृत प्रोजेक्ट के नाम पर पूरे शहर में कार्य कराए गए 750 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी हाल-बेहाल है। इसी प्रोजेक्ट के तहत स्मार्ट सिटी ने भी दक्षिण विधानसभा में सीवर लाइन डालने पर 25.15 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। वर-ल स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट निगम का था, मगर स्मार्ट सिटी के अफसरों ने इस कार्य पर 43.07 करोड़ झोंक दिए।

अमृत प्रोजेक्टः नगर निगम ने अमृत प्रोजेक्ट-1 के तहत 750 करोड़ रुपए के काम कराए हैं। ये काम 66 वार्डों में किए जाने थे। नगर निगम के अफसरों ने दक्षिण विधानसभा में अमृत प्रोजेक्ट में पानी और सीवर लाइन के काम किए। उसके एवज में स्मार्ट सिटी से 25.15 करोड़ रुपए की राशि का पैसा ले लिया। लेकिन काम की हालत खराब है।

स्ट्रीट लाइट शहर में स्ट्रीट लाइट का काम नगर निगम के हवाले रहता है। लेकिन स्मार्ट सिटी के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी सीआर बनाने के चक्कर में नगर निगम से एलईडी प्रोजेक्ट और मैनेटेनेंस का काम ले लिया। उस पर 43.07 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। अब ये प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के लिए गले की फांस बन चुका है।

सबसे बड़ा सवाल

अमृत प्रोजेक्टः अमृत प्रोजेक्ट पर पूरी तरह से निगम को काम करना था लेकिन स्मार्ट सिटी ने इसमें भी राशि खर्च की। लेकिन उसके बावजूद हर घर में पानी पहुंचना तो दूर कई गड्ढे भी नहीं भरे गए हैं। स्ट्रीट लाइटः शहर में स्ट्रीट लाइट का काम भी निगम के हवाले रहता है लेकिन स्मार्ट सिटी ने इस पर करोड़ रुपए खर्च कर दिए। उसके बावजूद भी शहर में कई जगह अंधेरा रहता है तो कई जगह दिन में भी लाइट जलती रहती है।

होना यह था…

एरिया बेस्ट डेवलपमेंट और पैन सिटी का अलग प्लान स्मार्ट सिटी कंपनी ने शहर में काम करने के लिए दो प्लान पर काम किया। पहला एरिया बेस्ट डेवलपमेंट (एबीडीः और दूसरा पैन सिटी पर काम करना था। • एबीडी के तहत प्रोजेक्टः स्मार्ट सिटी का चयन हेरिटेज आधार पर हुआ था। इसलिए महाराज बाड़ा एवं उसके आसपास के एरिया में काम करना था। ये एरिया 803 एकड़ में रहा। यहां पर 245 करोड़ रुपए की राशि से काम कराए गए। • पैन सिटी प्रोजेक्टः महाराज बाड़ा एरिया के 803 एकड़ एरिया के बाहर स्मार्ट सिटी ने ज्यादा काम करने में रूचि रखी। आईटीएमएस, एलईडी प्रोजेक्ट, हेरिटेज गेट, सड़कों का निर्माण, फूलबाग और हजीरा चौपाटी, अंतर राज्यीय बस टर्मिनल, स्मार्ट वाशरूम, सेल्फी प्वाइंट, स्मार्ट पार्किंग, पब्लिक बाइक शेयरिंग, शिक्षा नगर स्कूल की नई इमारत आदि शामिल है।

लेकिन हुआ यह

निगम, लोक निर्माण के कामों को पूरा करने में लग गए स्मार्ट सिटी कंपनी ने शहर के अंदर नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, उच्च शिक्षा और स्कूलों के कामों को पूरा करने में ज्यादा रूचि दिखाई। नगर निगम की बेहतर सड़कों को खोदकर नया बनाया गया। गांधी रोड के ब्यूटीफिकेशन पर 10 करोड़, निगम संग्रहालय का डिजिटलाइजेशन और जीर्णोद्वार पर ₹14 करोड़, फाइन आट्स कालेज का अपग्रेडेशन में ₹6.31 करोड़, प्री-कास्ट गोले का मंदिर रोड ₹4 करोड़, गालव गेस्ट हाउस का जीर्णोद्वार ₹40 करोड़, स्ट्रीट लाइट पर 43 करोड़ आदि पर खर्च किए।

अब और कोई राह नहीं

31 मार्च को खत्म हो रहा कार्यकाल, अधूरे रहेंगे कार्य • स्मार्ट सिटी का बढ़ा हुआ कार्यकाल 31 मार्च तक का है। इस दौरान मल्टी लेवल पार्किंग को छोड़कर 31 मार्च तक कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे। जो काम हो चुके हैं, उनका ओएंडएम चलता रहेगा। इस सप्ताह स्मार्ट सिटी कार्यों को लेकर रिव्यू बैठक रखी गई है। – संघ प्रिय, आयुक्त एवं ईडी स्मार्ट सिटी


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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