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शरीर एवं निजी संपत्ति की प्रतिरक्षा करना कब अपराध की श्रेणी में नहीं आता है जानिए/IPC…

हर व्यक्ति को अपनी निजी सुरक्षा एवं अपने मित्र, रिस्तेदार, भाई, बहन माता-पिता आदि की निजी सुरक्षा एवं   संपत्ति की प्रतिरक्षा करने का अधिकार प्राप्त है। जैसा कि हमने पिछले लेखों में बताया था कि कोई व्यक्ति अचानक किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करता है तब विधिविरुद्ध हमला करके वाले व्यक्ति को रोकने के लिए आप भी उतने ही बल का प्रयोग करके यैसे हमलावर को रोक सकते हैं एवं किसी अन्य व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा कर सकते हैं यह धारा 97 के अंतर्गत किसी भी प्रकार का अपराध नहीं होगा जानिए।


★भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 97 की परिभाषा★
कोई भी व्यक्ति अपने शरीर की या अन्य व्यक्ति के शरीर की एवं अपनी चल-अचल सम्पति एवं अन्य व्यक्ति की चल-अचल  संपत्ति प्रतिरक्षा कर सकता है एवं उसके द्वारा किया गया ऐसा कार्य धारा 97  के अंतर्गत अपराध नहीं होगा।


उधारानुसार वाद【दयाराम बनाम राज्य】:-★उपर्युक्त मामले में यह अभिनिर्धारित किया गया कि जहाँ कोई व्यक्ति किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक उठा कर ले जा रहा हैं, तब उस महिला के हितचिंतको से यह अपेक्षा नहीं कि जा सकती थी कि वे पुलिस में शिकायत दर्ज करा कर पुलिस के आने की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ धरे न बैठे रहे। अपितु वे प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए उस महिला को छुड़वा सकते हैं,एवं उनके द्वारा किया गया कार्य धारा 97 के अंतर्गत अपराध नहीं होगा।


:- लेखक बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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